नमस्कार दोस्तों,
Tally Prime के अंतर्गत यह सातवाँ आर्टिकल हैं। इस आर्टिकल Tally Prime All Groups Explanation मे आज हम Gateway of Tally के अंतर्गत आने वाले विभिन्न विकल्प तथा मुख्य रूप से ग्रुप्स (Group) के बारे मे बात करने वाले हैं। टैली के अंतर्गत ग्रुप (Group) बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक हैं, क्योंकि टैली मे जितने भी लेजर्स क्रीऐट किए जाते हैं, वे सभी किसी न किसी ग्रुप मे ही रखे जाते हैं। अगर ग्रुप का ज्ञान सही से नहीं होगा तो लेजर के लिए सही ग्रुप का चुनाव भी नहीं कर सकते, और रिजल्ट मे बलेन्स शीट (Balance Sheet) पर इसका गलत प्रभाव पड़ेगा। तो चलियें जानते हैं Gateway of Tally के अंतर्गत आने वाले विभिन्न विकल्पो मे से एक ग्रुप (Group) के बारे में। ग्रुप कितने प्रकार के होते हैं, सभी का अर्थ क्या होता है, इनकी उपयोगिता क्या है; सभी बातें।
नोट – टैली प्राइम के कम्प्लीट आर्टिकल आप इस लिंक Complete Tally Series पर क्लिक करके पा सकते हैं।
Table of Contents
गेटवे ऑफ टैली क्या है | What is Gateway of Tally
Gateway of Tally टैली की मुख्य होम विंडो होती है, यहीं से टैली के सम्पूर्ण फीचर्स को एक्सेस किया जाता है। Gateway of Tally मे Masters, Transactions, Utilities और Reports के अंतर्गत जो भी ऑप्शन आते हैं;वे निम्न प्रकार हैं।
Gateway of Tally
- MASTERS
- Create
- Alter
- Chart of Account
- TRANSACTIONS
- Vouchers
- Daybook
- UTILITIES
- Banking
- REPORTS
- Balance Sheet
- Profit & Loss A/c
- Stick Summary
- Ratio Analysis
- Display More Reports
- Quite
गेटवे ऑफ टैली मास्टर्स | Gateway of Tally Masters
मास्टर्स (Masters) के अंतर्गत Create, Alter और Chart of Accounts ऑप्शन आते है। इसके अंतर्गत हम कंपनी के Accounting Masters, Inventory Masters व Statutory Details को क्रीऐट, डिलीट व अपडेट कर सकते हैं। Masters के अंतर्गत आने वाले सभी विकल्पों का विवरण निम्न प्रकार है।
Create
- Accounting Masters – इसके अंतर्गत कंपनी के लेजर्स (Ledgers), ग्रुप्स (Groups), करंसी (Currency) आदि क्रीऐट कर सकते है।
- Inventory Masters – इसके अंतर्गत कंपनी के स्टॉक ग्रुप (Stock Group), स्टॉक केटेगरी (Stock Category), स्टॉक आइटम (Stock Item), यूनिट (Unit), गोडाउन (Godown) आदि क्रीऐट कर सकते हैं।
- Statutory Details – इसके अंतर्गत कंपनी के Tax से संबंधित डिटेल्स सेटअप और अपडेट कर सकते है। जसे – GST, PAN/CIN आदि।
Alter
इसके अंतर्गत बनाए गए Accounting व Inventory Masters को अपडेट या डिलीट करने की सुविधा मिलती है। किसी ग्रुप या लेजर को अपडेट या डिलीट करने के लिए Gateway of Tally से Alter मेनू मे जाएं, फिर Accounting Master सेक्शन के अंदर ग्रुप या लेजर को ओपन करें और अपडेट या डिलीट करें। डिलीट करने के लिए मास्टर (Ledger or Group) को ओपन करें और Alt + D प्रेस करेंगे, लेकिन ध्यान रहे अगर लेजर या ग्रुप का इस्तेमाल एंट्री मे हो चुका है तो डिलीट नहीं होगा। उसके लिए पहले एंट्री डिलीट करनी होगी।
Chart of Accounts
इसके अंतर्गत हम बनाए गए Accounting व Inventory Masters को चार्ट के रूप मे देख सकते हैं, जैसे किसी ग्रुप के अंतर्गत कितने लेजर क्रीऐट किए जा चुके हैं यह पता कर सकते हैं।
टैली मे ग्रुप क्या होते हैं | What are the Groups in Tally?
Path : Gateway of Tally>Create>Group
व्यापार मे अकाउंटिंग करने के लिए कई प्रकार के खाते बनाए जाते है जिनकी केटेगरी को निर्धारित करने के लिए Tally मे ग्रुप (Group) का इस्तेमाल किया जाता है। ग्रुप एक ही प्रकार के लेजर्स के समूह का एक नाम होता है। उदाहरण के लिए अप्रत्यक्ष खर्च (Indirect Expense) एक प्रकार का ग्रुप है, अब इससे संबंधित कई लेजर इस प्रकार हो सकते है जैसे – Salary A/c, Stationary A/c, Advertisement A/c, Tea A/c आदि। इन सभी लेजर को बनाते समय Indirect Expense ग्रुप का चुनाव करेंगे। अगर किसी लेजर (खाता) को गलत ग्रुप में रखा जाता है, तो बलेन्स शीट पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए लेजर बनाते समय सही ग्रुप का चुनाव किया जाना चाहिए। तो चलिए जानते हैं Tally Prime All Groups Explanation लेख के अंतर्गत सभी ग्रुपों के बारे मे।
टैली के सभी ग्रुप्स की व्याख्या | Tally Prime All Groups Explanation
1. Bank Accounts – इस ग्रुप को सभी सामान्य बैंक के खातो के लेजर बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जैसे – PNB Bank A/c, SBI Bank A/c आदि।
2. Bank OCC A/c – इस ग्रुप का इस्तेमाल OCC (Open Credit Cash) बैंक अकाउंट से संबंधित लेजर बनाने के लिए किया जाता है। यानि ऐसे खाते जिन खातों मे 0 बैलन्स के बावजूद भी लेन-देन किया जा सकता है। जैसे – HDFC OCC A/c, SBI OCC A/c आदि।
3. Bank OD A/c – इस ग्रुप मे Bank Overdraft से संबंधित लेजर को क्रीऐट किया जाता है। बैंक ओवरड्राफ्ट किसी व्यवसाय के लिए एक बैंक अकाउंट होता है, जिसमे 0 बैलन्स होने पर भी एक लिमिट तक कैश निकाला जा सकता है। जैसे – HDFC Bank OD A/c, SBI Bank OD A/c व अन्य।
4, Branch/Divisions – यदि किसी कंपनी की एक से ज्यादा ब्रांच है और उन सभी ब्रांच का हिसाब किताब एक ही जगह रखा जाता है, तो उन सभी Branch/Divisions से संबन्धित लेजर को इस Group के अंदर क्रीऐट किया जाता है। जैसे – ABC Pvt. Ltd. Lucknow, ABC Pvt. Ltd. Kanpur, ABC Pvt. Ltd. Delhi आदि।
5. Capital Account – इस ग्रुप मे (पूंजी) से संबंधित लेजर को रखा जाता है। जैसे – Capital A/c, Harish Capital A/c आदि।
6. Cash-in-Hand – इस ग्रुप मे कैश से संबंधित लेजर को रखा जाता है, अगर कंपनी एक से अधिक कैश लेजर का इस्तेमाल करती है, जैसे – Cash A/c, Petty Cash A/c आदि।
7. Current Assets – इस ग्रुप मे ऐसी संपत्तियों के लेजर क्रीऐट किए जाते है, जो चालू संपत्तियों (Current Assets) से संबंधित हों। जैसे – Advance Payment, Bills Receivable, Prepaid Rent, Stock आदि।
8. Current Liabilities – इस ग्रुप मे ऐसे लेजर्स को शामिल किया जाता है, जिनको भुगतान करना है, जैसे – Tax Payable, Bills Payable, Salary Payable, Loan Payable आदि।
9. Deposits (Asset) – व्यापार मे जब कोई संपत्ति लंबे समय के लिए डिपॉजिट की जाती है, तो ऐसी संपत्तियों से संबंधित लेजर्स को इस ग्रुप के अंडर क्रीऐट किया जाता है। जैसे – Godown Security Deposit, Telephone Security Deposit, Bond, Fixed Deposit आदि।
10. Direct Expenses – इस ग्रुप मे प्रत्यक्ष खर्चों से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते है, जो माल की खरीद-फरोक्त तथा माल को निर्माण कराने पर खर्च किए जाते है। जैसे – Freight Inward, Carriage Inward, Coal आदि।
11. Direct Incomes – इस ग्रुप मे प्रत्यक्ष आय से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते हैं, ऐसी आय जो व्यापार के मुख्य सोर्स से प्राप्त होती है। जैसे- Income from Service Sales, Income form Goods Sales, Apprentice Premium आदि।
12. Duties & Taxes – इस ग्रुप मे सभी प्रकार के कर (Tax) से संबंधित लेजर्स को क्रीऐट किया जाता है। जैसे – IGST, CGST, SGST, TDS, VAT आदि।
13. Expenses (Direct) – इस ग्रुप मे प्रत्यक्ष खर्चों से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते है, जो माल की खरीद-फरोक्त तथा माल को निर्माण कराने पर खर्च किए जाते है। जैसे – Freight Inward, Carriage Inward, Coal आदि।
14. Expenses (Indirect) – इस ग्रुप मे अप्रत्यक्ष खर्चों से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते है, वे खर्चे जो माल की बिक्री तथा कार्यालय (Office) से संबंधित होते हैं। जैसे – Staff Salary, Building Rent, Audit Fee, Sundry Expense, Sweeping Charges, Advertisement, Stationary, Freight Outward आदि।
15. Fixed Assets – इस ग्रुप मे व्यवसाय की सभी स्थायी संपत्तियों के लेजर्स बनाए जाते है, वे संपत्तियां जो व्यवसाय के संचालन मे सहायक होती हैं। जैसे – Building, Land, Computer, Furniture, Machinery, Tools आदि।
16. Income (Direct) – इस ग्रुप मे प्रत्यक्ष आय से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते है, ऐसी आय (Income) जो व्यापार के मुख्य सोर्स से प्राप्त होती हो। जैसे – Income from Service Sales, Income form Goods Sales, Apprentice Premium आदि।
17. Income (Indirect) – इस ग्रुप मे अप्रत्यक्ष आय से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते हैं, यानि ऐसी आय जिसका सीधा संबंध माल या सर्विस की बिक्री से नही होता है। जैसे – Interest Received, Discount Received, Scrap Sale, Commission Received आदि।
18. Indirect Expenses – इस ग्रुप मे अप्रत्यक्ष खर्चों से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते है, वे खर्चे जो माल की बिक्री तथा कार्यालय (Office) से संबंधित होते हैं। जैसे – Staff Salary, Building Rent, Audit Fee, Sundry Expense, Sweeping Charges, Advertisement, Stationary, Freight Outward आदि।
19. Indirect Incomes – इस ग्रुप मे अप्रत्यक्ष आय से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते हैं, यानि ऐसी आय जिसका सीधा संबंध माल या सर्विस की बिक्री से नही होता है। जैसे – Interest Received, Discount Received, Scrap Sale, Commission Received आदि।
20. Investment – इस ग्रुप मे इनवेस्टमेंट से संबंधित लेजर्स बनाए जाते हैं। वे संपत्तियाँ जो लॉंग टर्म मे अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से खरीदी जाती हैं। जैसे- Shares, Properties, Mutual Fund, Stocks आदि।
21. Loan & Advances (Asset) – यदि व्यवसाय मे किसी को Advance Payment या Loan दिया गया है, तो ऐसे लेजर्स को इस ग्रुप के अंडर क्रीऐट करते है। जैसे – Loan Given to Friends or Relatives, Advance Payment to Employee or Party आदि।
22. Loans (Liability) – यदि व्यवसाय मे किसी से Advance Payment या Loan लिया है, तो ऐसे लेजर्स (खाता) को इस ग्रुप मे क्रीऐट करते है। जैसे – Bank Loan, Advance Taken from Party आदि।
23. Misc. Expenses (Asset) – इस ग्रुप मे उन खर्चों के लेजर्स क्रीऐट करते है, जिनका पेमेंट वर्षों के अनुपात मे एक मुश्त करना होता है। जैसे – Preliminary Expenses, Copyright Payment आदि।
24. Provisions – इस ग्रुप मे उन लेजर्स को क्रीऐट करते हैं, जो भविष्य मे होने वाले किसी नुकसान की आपूर्ति करने के लिए बनाए जाते हैं। जैसे – Provision for Bad Debts, Loss Recovery आदि।
25. Purchase Accounts – इस ग्रुप मे माल की खरीददारी व खरीदा माल वापसी से संबंधित लेजर्स बनाए जाते हैं। जैसे – Purchase A/c, Purchase Return A/c, Intra State Purchase A/c, Inter State Purchase A/cआदि।
26. Reserves & Surplus – व्यसाय को भविष्य मे बेहतर बनने के लिए जिन पूंजियों को रिजर्व करके रखा जाता है, उनसे संबंधित लेजर्स इस ग्रुप के अंतर्गत बनाए जाते हैं। जैसे – Generator Reserves, Machine Reserves, Another Branch Reserves आदि।
27. Retained Earnings – इस ग्रुप मे ऐसे लेजर्स क्रीऐट किए जाते हैं जो रिटेनेड अरनिंग से संबंधित होते हैं। जैसे – Future Need, Economic Help आदि। रिटेंड अर्निंग्स को हिंदी में अधिशेष लाभ या संचित लाभ भी कहा जाता है। यह कंपनी के कुल लाभ का वह हिस्सा होता है जिसे कंपनी अपने पास रखती है, बजाय इसे शेयरधारकों को लाभांश के रूप में बांटने के।
28. Sales Accounts – इस ग्रुप मे माल की बिक्री व बिका माल वापसी से संबंधित लेजर्स बनाए जाते हैं। जैसे – Sales A/c, Sales Return A/c, Intra State Sales A/c, Inter State Sales A/c आदि।
29. Secured Loans – इस ग्रुप मे सुरक्षित ऋण से संबंधित लेजर्स बनाए जाते हैं। ऐसे ऋण, जिनमे ऋण के बदले कोई संपत्ति गिरवी रखनी होती है। जैसे – Bank Loans, Finance Loan आदि।
30. Stock-in-Hand – इस ग्रुप मे Stock से संबन्धित लेजर्स क्रीऐट किए जाते हैं। जैसे Opening Stock, Closing Stock, Consignment Stock आदि।
31. Sundry Creditors – जब किसी कंपनी या पार्टी से उधार माल (Goods) खरीदते है, तो ऐसी सभी कंपनी या पार्टी के लेजर्स इस ग्रुप के अंडर बनाए जाते हैं। जैसे – Mohan’s A/c, Verma Industries, Varuna Pvt. Ltd. आदि।
32. Sundry Debtors – जब किसी कंपनी या पार्टी को उधार माल (Goods) बेचते है, तो ऐसी सभी कंपनी या पार्टी के लेजर्स इस ग्रुप के अंडर बनाए जाते हैं। जैसे – Ahuja’s A/c, Malik & Sons Co., Varuna Pvt. Ltd. आदि।
33. Suspense Account – इस ग्रुप के अंतर्गत किसी लेन-देन मे हुई भूल-चूक को याद रखने के लिए लेजर्स बनाए जाते हैं।
34. Unsecured Loans – जब व्यवसाय मे किसी दोस्त या रिस्तेदार से बिना कोई संपत्ति गिरवी रखे लोन लिया जाता है, तो ऐसे लोन से संबंधित लेजर्स को इस ग्रुप मे क्रीऐट करते है। जैसे – Loan from Vijay, Loan from Akash आदि।
टैली प्राइम मे नया ग्रुप बनाना | Creating New Group in Tally Prime
टैली मे पहले से उपलब्ध ग्रुप के अलावा उपयोगकर्ता स्वयं का ग्रुप भी क्रीऐट कर सकता है। यहाँ हम Office Expenses नाम से नया ग्रुप बनाएंगे तथा ऑफिस मे होने वाले खर्चों से संबंधित जितनी भी लेजर बनाएंगे उन्हे इसी Group में रखेंगे। जैसे- Tea Expenses, News Paper, Computer Repair, Printer Repair etc.
Path : Gateway of Tally>Create>Group
Name : Office Expenses
Under : Indirect Expenses
बाकी सभी ऑप्शन को डिफ़ॉल्ट रहने देंगे तथा Group Creation स्क्रीन Accept कर लेंगे। इस प्रकार हम नया ग्रुप बना सकते हैं।
ग्रुप को अपडेट या डिलीट करना | Group Update/Delete
Path : Gateway of Tally>Alter>Group
टैली प्राइम मे ग्रुप को अपडेट या डिलीट करने के लिए ऊपर दिए गए पाथ के अनुसार ग्रुप ओपन करें, अब अगर ग्रुप को अपडेट करना है तो ग्रुप डिटेल्स को चेंज करके Accept कर लें। इस तरह ग्रुप अपडेट हो जाएगा। अगर ग्रुप को डिलीट करना है तो ग्रुप को ओपन करे, फिर Alt + D प्रेस करे तथा कान्फर्मैशन के लिए Yes करें, इस तरह ग्रुप डिलीट हो जाएगा।
नोट – ध्यान रहे जिस ग्रुप को डिलीट कर रहे है वह उपयोगकर्ता द्वारा बनाया हुआ होना चाहिए, तथा उसका उपयोग वाउचर एंट्री मे नहीं होना चाहिए, नहीं तो ग्रुप डिलीट नहीं होगा। इसके लिए पहले एंट्री डिलीट करनी होगी।
Note : Tally Prime मे स्वयं से बनाए गए ग्रुप को ही डिलीट या अपडेट कर सकते हैं।
अंतिम शब्द
हम आशा करते हैं कि इस ब्लॉग पोस्ट Tally Prime All Groups Explanation के माध्यम से, आपको टैली प्राइम में ग्रुप्स के महत्व और उनके उपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी मिली होगी। यदि आपके पास कोई प्रश्न हैं या आप और अधिक जानना चाहते हैं, तो कृपया टिप्पणी करें। इस लेख को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें, तथा आगे के अपडेट के लिए हमसे निम्न प्लेटफॉर्म पर जुड़े।
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