Internet and Network Notes in Hindi

आज की दुनिया में, इंटरनेट और नेटवर्क (Internet and Network) हमारी ज़िंदगी का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक, हम लगातार इनसे जुड़े रहते हैं। चाहे वह अपने दोस्तों और परिवार से जुड़ना हो, ऑनलाइन शॉपिंग करना हो, या फिर दुनिया भर की जानकारी तक पहुँचना हो, यह सब इन्हीं के माध्यम से संभव है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम Internet and Network की इस रोमांचक दुनिया में गहराई से उतरेंगे। हम समझेंगे कि ये कैसे काम करते हैं, ये कितने प्रकार के होते हैं, और हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर इनका क्या प्रभाव पड़ता है। तो चलिए, इस डिजिटल यात्रा को शुरू करते हैं!

इंटरनेट क्या है?

इंटरनेट, जिसे “नेटवर्क का नेटवर्क” भी कहा जाता है, यह एक विश्वव्यापी नेटवर्क है जो दुनिया भर के कंप्यूटरों को आपस में जोड़ती है। इसमे बहुत से स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क परस्पर आपस मे जुड़े होते हैं। इंटरनेट आपको जानकारी साझा करने, संवाद करने और विभिन्न प्रकार की सेवाओं का उपयोग करने की अनुमति देता है, जैसे कि ईमेल, सोशल मीडिया, ऑनलाइन बैंकिंग और ऑनलाइन शॉपिंग आदि।

Internet and Network से संबंधित बुनियादी जानकारी

ARPANET : ARPANET, जिसका मतलब एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी नेटवर्क है, इंटरनेट का पूर्ववर्ती था। यह एक शुरुआती पैकेट-स्विच्ड नेटवर्क था और TCP/IP प्रोटोकॉल सूट को लागू करने वाला पहला नेटवर्क था। यह नेटवर्क अमेरिकी रक्षा विभाग की एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (ARPA) द्वारा वित्तपोषित था, और इसे इंटरनेटवर्किंग प्रौद्योगिकी विकास और परीक्षण के लिए एक परीक्षण स्थल के रूप में इस्तेमाल किया गया था। 

World Wide Web : वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) एक सूचना प्रणाली है जो इंटरनेट पर उपलब्ध दस्तावेजों और अन्य संसाधनों को हाइपरलिंक के माध्यम से जोड़ती है। यह एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम विभिन्न वेबसाइटों और वेब पेजों तक पहुँच सकते हैं। इसे अक्सर “वेब” या “W3” भी कहा जाता है। संक्षेप में, WWW इंटरनेट का एक हिस्सा है जो हमें जानकारी तक पहुंचने और साझा करने की अनुमति देता है। 

Web Page : वेब पेज एक हाइपरटेक्स्ट दस्तावेज़ (Document) है जिसे वर्ल्ड वाइड वेब पर देखा जा सकता है। यह एक वेबसाइट का हिस्सा होता है, और इसे वेब ब्राउज़र में प्रदर्शित किया जाता है। एक वेब पेज में टेक्स्ट, इमेज, वीडियो, और अन्य वेब पेजों के लिंक शामिल हो सकते हैं। 

Web Site : वेबसाइट एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जहां किसी संगठन, व्यक्ति, या विशिष्ट विषय से संबंधित जानकारी और अन्य सामग्री साझा की जाती है। इसमें वेब पेज, चित्र, वीडियो, और अन्य प्रकार की सामग्री शामिल हो सकती है। एक वेबसाईट को वेब सर्वर (Web Server) पर प्रकाशित किया जाता है, जिससे कोई भी वेबसाईट की सामग्री को एक्सेस कर सकता है।

Home Page : होम पेज (Homepage) किसी वेबसाइट का मुख्य पेज होता है, जो वेबसाइट पर आने वाले उपयोगकर्ताओं के लिए शुरुआती बिंदु के रूप में काम करता है। यह वेबसाइट के बाकी पेजों के लिए एक नेविगेशन केंद्र भी होता है, जिससे उपयोगकर्ता वेबसाईट के विभिन्न अनुभागों तक पहुंच सकते हैं।

URL : URL का मतलब है Uniform Resource Locator, यह एक वेब एड्रेस होता है जो इंटरनेट पर किसी विशिष्ट संसाधन (जैसे कि वेबपेज, इमेज, वीडियो, या फ़ाइल) का पता बताता है। यह एक तरह से किसी वेबसाइट या वेबपेज का पता होता है, जिसे जरिए आप उस तक पहुँच सकते हैं। उदाहरण के लिए, “https://www.google.com” एक URL है जो आपको Google के होम पेज पर ले जाएगा।

IP Address : आईपी एड्रेस (IP Address) एक अद्वितीय संख्यात्मक लेबल है जो इंटरनेट से जुड़े प्रत्येक डिवाइस को दिया जाता है। यह एक तरह का ऑनलाइन पता है जो आपके कंप्यूटर, स्मार्टफोन या किसी भी इंटरनेट से जुड़े डिवाइस को पहचानने में मदद करता है। 

आईपी एड्रेस दो मुख्य प्रकार के होते हैं: IPv4 और IPv6: 

  • IPv6: यह 128-बिट एड्रेस होता है और इसे हेक्साडेसिमल अंकों के आठ समूहों के रूप में दर्शाया जाता है, जैसे 2001:0db8:85a3:0000:0000:8a2e:0370:7334. 
  • IPv4: यह 32-बिट एड्रेस होता है और इसे चार संख्याओं के रूप में दर्शाया जाता है, जैसे 192.168.1.1. 

Domain : डोमेन (Domain) एक विशिष्ट नाम होता है जो इंटरनेट पर किसी वेबसाइट या ऑनलाइन सेवा की पहचान करता है। यह एक ऐसा पता है जिसे लोग वेबसाइटों तक पहुंचने के लिए ब्राउज़र में टाइप करते हैं। डोमेन नाम, संख्याओं के एक समूह (आईपी एड्रेस) के बजाय, एक मानव-पठनीय नाम होता है, जो इसे याद रखना और उपयोग करना आसान बनाता है। उदाहरण के लिए, “google.com” एक डोमेन नाम है। 

Web Server : वेब सर्वर एक कंप्यूटर प्रोग्राम या एक कंप्यूटर है जो इंटरनेट पर वेब पेजों को संग्रहीत, संसाधित और वितरित करने के लिए ज़िम्मेदार है। जब कोई उपयोगकर्ता किसी वेबसाइट पर जाता है, तो उसका ब्राउज़र एक अनुरोध भेजता है, और वेब सर्वर उस अनुरोध को संसाधित करता है और अनुरोधित वेब पेजों को वापस भेजता है।

Web Hosting : वेब होस्टिंग एक ऐसी सेवा है जो आपकी वेबसाइट को इंटरनेट पर उपलब्ध कराती है। यह एक वेब सर्वर पर आपकी वेबसाइट की फाइलों को संग्रहीत करने की प्रक्रिया है, ताकि दुनिया भर के लोग आपकी वेबसाइट को देख सकें। 

Web Browser : एक वेब ब्राउज़र एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है जो आपको इंटरनेट पर वेबसाइटों और वेब पेजों को देखने व ब्राउज़ करने की अनुमति देता है। यह एक ऐसा टूल है जो आपको वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) पर जानकारी खोजने और एक्सेस करने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, Google Chrome, Mozilla Firefox, Safari, और Microsoft Edge कुछ लोकप्रिय वेब ब्राउज़र हैं। 

Internet Service Provider (ISP): इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (आईएसपी) एक ऐसी कंपनी है जो व्यक्तियों और संगठनों को इंटरनेट सेवा प्रदान करती है। यह एक गेटवे की तरह काम करता है, जिससे आप उनके नेटवर्क से जुड़कर अपने उपकरणों का उपयोग करके इंटरनेट एक्सेस कर सकते हैं। आईएसपी विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करते हैं, जैसे कि ब्रॉडबैंड, डायल-अप, और सैटेलाइट इंटरनेट।

  • Broadband : ब्रॉडबैंड आईएसपी उच्च गति वाले इंटरनेट कनेक्शन प्रदान करते हैं, जैसे कि फाइबर ऑप्टिक, केबल, और डीएसएल। 
  • Dial-up : डायल-अप आईएसपी कम गति वाले इंटरनेट कनेक्शन प्रदान करते हैं, जो आमतौर पर टेलीफोन लाइनों का उपयोग करते हैं। 
  • Satellite : सैटेलाइट आईएसपी उन क्षेत्रों में इंटरनेट एक्सेस प्रदान करते हैं जहां अन्य प्रकार के कनेक्शन उपलब्ध नहीं हैं। 

Search Engine : सर्च इंजन एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जो उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट पर जानकारी खोजने में मदद करता है। यह एक ऐसा टूल है जो आपको कीवर्ड या वाक्यांशों का उपयोग करके ऑनलाइन सामग्री खोजने की अनुमति देता है। सर्च इंजन वेब पेजों को क्रॉल और इंडेक्स करते हैं। जब आप कोई क्वेरी दर्ज करते हैं, तो यह आपके द्वारा खोजे जा रहे कीवर्ड से संबंधित वेब पेजों की एक सूची लौटाता है। कुछ लोकप्रिय सर्च इंजन है, Google, Yahoo, Bing आदि।

Downloading : डाउनलोडिंग का मतलब है, किसी दूसरे कंप्यूटर या इंटरनेट से अपने कंप्यूटर में डेटा (जैसे फ़ाइलें, चित्र, वीडियो, आदि) सेव करना।

Uploading : अपलोडिंग का मतलब है, अपने कंप्यूटर या डिवाइस से डेटा को इंटरनेट पर भेजना सेव करना। जैसे – गूगल ड्राइव, वन ड्राइव, क्लाउड स्टोरेज आदि। 

Online Chatting : ऑनलाइन चैटिंग, इंटरनेट के माध्यम से दो या दो से अधिक लोगों के बीच वास्तविक समय में टेक्स्ट-आधारित संवाद (बातचीत) है। इसे Instant Messaging या Chat के रूप में भी जाना जाता है, और यह आमतौर पर Small Text का आदान-प्रदान होता है ताकि अन्य प्रतिभागियों को तुरंत जवाब देने में सक्षम बनाया जा सके। ऑनलाइन चैट करने के विभिन्न माध्यम है, जैसे – Facebook Messenger, Whatsapp, Telegram, Snapchat आदि।

Video Conferencing : वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, जिसे वीडियो मीटिंग या वेब कॉन्फ्रेंसिंग भी कहा जाता है, एक ऐसी तकनीक है जो दो या दो से अधिक लोगों को एक साथ जोड़ती है, ताकि वे लाइव वीडियो और ऑडियो के माध्यम से बातचीत कर सकें, जैसे कि वे एक ही कमरे में मौजूद हों। यह तकनीक विभिन्न स्थानों पर मौजूद लोगों को एक-दूसरे से जुड़ने और संवाद करने का एक प्रभावी तरीका प्रदान करती है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करने के लिए विभिन्न प्लेटफॉर्म्स Zoom, Google Meet, Microsoft Teams, Skype आदि।

Blogging : ब्लॉगिंग, एक ऑनलाइन गतिविधि है जिसमें किसी व्यक्ति या समूह द्वारा, किसी वेबसाइट या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लेख, फोटो, वीडियो, या अन्य प्रकार की सामग्री प्रकाशित करते हैं। इसे एक तरह का ऑनलाइन जर्नल या डायरी भी माना जा सकता है, जहाँ लोग अपने विचारों, अनुभवों, रुचियों, या किसी खास विषय पर जानकारी साझा व टिप्पणी करते हैं। ब्लॉगिंग में न केवल सामग्री लिखना शामिल है, बल्कि ब्लॉग को बनाना, उसे प्रबंधित करना, और पाठकों के साथ जुड़ना भी शामिल है। 

Social Networking : सोशल नेटवर्किंग, जिसे सोशल मीडिया या सोशल नेटवर्किंग साइट्स भी कहा जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (X, Facebook, LinkedIn) का उपयोग करके एक-दूसरे से जुड़ते हैं, जानकारी साझा करते हैं, और ऑनलाइन दोस्त बनाते हैं। यह एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा लोग अपने दोस्तों, परिवार, और अन्य लोगों से संपर्क में रह सकते हैं, अपनी रुचियों के बारे में जानकारी साझा कर सकते हैं, और नए लोगों से मिल सकते हैं।

Information Communication Technology (ICT) : आईसीटी का मतलब सूचना और संचार प्रौद्योगिकी है। यह एक व्यापक शब्द है जो विभिन्न प्रकार की तकनीकों को संदर्भित करता है जिनका उपयोग सूचना को संप्रेषित करने, संसाधित करने, संग्रहीत करने और प्रबंधित करने के लिए किया जाता है। 

आईसीटी में शामिल हैं-

  • कंप्यूटर, डेस्कटॉप, लैपटॉप, टैबलेट, आदि।
  • सॉफ्टवेयर, ऑपरेटिंग सिस्टम, एप्लिकेशन, आदि।
  • इंटरनेट, वायरलेस नेटवर्क, आदि।
  • मोबाइल डिवाइस, स्मार्टफोन, आदि।
  • दूरसंचार, टेलीफोन, रेडियो, टेलीविजन, आदि।
  • डिजिटल कैमरे, वीडियो रिकॉर्डर आदि। 

आईसीटी का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे-

  • शिक्षा – शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए।
  • स्वास्थ्य – रोगियों की देखभाल और उपचार में सुधार करने के लिए।
  • व्यवसाय – संचार, डेटा प्रबंधन और निर्णय लेने में सुधार करने के लिए।
  • सरकारी सेवाएं – सार्वजनिक सेवाओं और सूचनाओं तक पहुंच प्रदान करने के लिए।  
  • संचार – दुनिया भर में लोगों को जोड़ने और जानकारी साझा करने के लिए।
  • मनोरंजन – फिल्मों, संगीत और अन्य सामग्री तक पहुंच प्रदान करने के लिए।  

आईसीटी ने हमारे जीवन के लगभग हर पहलू को बदल दिया है, और इसका प्रभाव आने वाले वर्षों में और भी अधिक महत्वपूर्ण होने की संभावना है।

E-Governance : ई-गवर्नेंस, जिसे इलेक्ट्रॉनिक शासन भी कहा जाता है, सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का उपयोग है, जिसका उद्देश्य शासन को बेहतर बनाना है। यह नागरिकों, व्यवसायों और सरकार के बीच लेनदेन को सरल, कुशल और पारदर्शी बनाने के लिए आईसीटी का उपयोग है।

उदाहरण के लिए, भारत में, ई-गवर्नेंस पहल में Online Pan Card, Aadhar Card, Online Passport, e-FIR, और Bhulekh जैसी सेवाएं शामिल हैं। 

ई-गवर्नेंस के कई लाभ हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • नागरिकों के लिए बेहतर सेवा वितरण, बढ़ी हुई पहुंच, और बढ़ी हुई पारदर्शिता। 
  • व्यवसायों के लिए लागत कम करना, दक्षता में वृद्धि, और बेहतर व्यापार करने की स्थिति। 
  • सरकार के लिए लागत कम करना, दक्षता में वृद्धि, और नागरिकों के साथ बेहतर संबंध। 

ई-गवर्नेंस, शासन को बेहतर बनाने और नागरिकों और व्यवसायों के लिए बेहतर सेवाएं प्रदान करने का एक शक्तिशाली माध्यम है। 

Email : ईमेल, या इलेक्ट्रॉनिक मेल, इंटरनेट के माध्यम से संदेशों (जैसे टेक्स्ट, फाइलें, आदि) को भेजने और प्राप्त करने का एक तरीका है। यह एक डिजिटल संचार प्रणाली है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को संदेश भेजने के लिए कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करती है। ईमेल भेजने और प्राप्त करने के लिए एक ईमेल खाता की आवश्यकता होती है जिसे विभिन्न ईमेल सेवा प्रदाता (Gmail, Hotmail, Yahoo) से फ्री मे प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए इन कंपनियों की साइट पर ऑनलाइन रजिस्ट्रैशन करना होगा, जिसमे आपकी बेसिक जानकारी और वेरीफिकेशन शामिल हो सकता है। ईमेल के जरिए दुनिया मे किसी को भी संदेश भेजा जा सकता है, इसके लिए प्राप्तकर्ता का ईमेल खाता पता होना चाहिए।

साइबर क्राइम क्या है?

साइबर क्राइम, जिसे कंप्यूटर अपराध या ई-अपराध भी कहा जाता है, एक ऐसी आपराधिक गतिविधि है जिसमें कंप्यूटर, इंटरनेट व नेटवर्क (Internet and Network), या डिजिटल डिवाइस का उपयोग किया जाता है। इसका उद्देश्य आमतौर पर वित्तीय लाभ प्राप्त करना या किसी को नुकसान पहुंचाना होता है। साइबर क्राइम में हैकिंग, फ़िशिंग, पहचान की चोरी, और मैलवेयर फैलाना शामिल हो सकता है। 

साइबर क्राइम के प्रकार:

  • हैकिंग: किसी के कंप्यूटर या नेटवर्क में अनधिकृत रूप से प्रवेश करना। 
  • फ़िशिंग: लोगों को धोखा देकर उनकी व्यक्तिगत जानकारी जैसे यूजरनेम, पासवर्ड, और क्रेडिट कार्ड नंबर प्राप्त करना। 
  • पहचान की चोरी: किसी और की पहचान का उपयोग करके वित्तीय या अन्य लाभ प्राप्त करना। 
  • मैलवेयर: कंप्यूटर वायरस, वॉर्म, और ट्रोजन हॉर्स जैसे हानिकारक सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके सिस्टम को नुकसान पहुंचाना। 
  • रैंसमवेयर: किसी के कंप्यूटर या नेटवर्क को लॉक करना और फिर उसे अनलॉक करने के लिए फिरौती मांगना। 
  • सोशल मीडिया फ्रॉड: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करके लोगों को धोखा देना या उनके साथ दुर्व्यवहार करना। 

साइबर क्राइम से कैसे बचें?

  • अपने कंप्यूटर और अन्य डिजिटल उपकरणों को सुरक्षित रखने के लिए एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर और फ़ायरवॉल का उपयोग करें।
  • अज्ञात स्रोतों से ईमेल या संदेशों में अटैचमेंट या लिंक पर क्लिक न करें।
  • अपने पासवर्ड मजबूत रखें और उन्हें नियमित रूप से बदलें।
  • सोशल मीडिया पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करते समय सावधान रहें।
  • यदि आप साइबर क्राइम का शिकार होते हैं, तो तुरंत पुलिस को रिपोर्ट करें। 

साइबर क्राइम एक गंभीर खतरा है, लेकिन सही सावधानी बरतकर इससे बचा जा सकता है।

साइबर सिक्युरिटी क्या है?

साइबर सुरक्षा, जिसे कंप्यूटर सुरक्षा या सूचना प्रौद्योगिकी सुरक्षा भी कहा जाता है, एक व्यापक शब्द है जो कंप्यूटर, नेटवर्क, और डिजिटल डेटा को अनधिकृत पहुंच, क्षति, या चोरी से बचाने के लिए उपयोग की जाने वाली तकनीकों, प्रक्रियाओं और प्रथाओं को संदर्भित करता है। 

साइबर सुरक्षा क्यों महत्वपूर्ण है?

  • डेटा की सुरक्षा: साइबर सुरक्षा डेटा की गोपनीयता, अखंडता और उपलब्धता सुनिश्चित करती है, जो व्यक्तिगत, वित्तीय और संगठनात्मक जानकारी के लिए महत्वपूर्ण है।
  • व्यवसाय की निरंतरता: साइबर सुरक्षा व्यवधानों को रोककर, व्यवसाय निर्बाध रूप से चल सकते हैं, जिससे उत्पादकता और राजस्व में वृद्धि होती है।
  • नियामक अनुपालन: कई उद्योगों और क्षेत्रों में डेटा सुरक्षा और गोपनीयता से संबंधित सख्त नियम और कानून हैं, और साइबर सुरक्षा इन आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करती है।
  • विश्वास का निर्माण: मजबूत साइबर सुरक्षा उपाय ग्राहकों, भागीदारों और अन्य हितधारकों के बीच विश्वास और विश्वसनीयता स्थापित करने में मदद करते हैं।
  • मानसिक शांति: साइबर हमलों के बारे में चिंताओं को कम करके, साइबर सुरक्षा व्यक्तियों और संगठनों को मानसिक शांति प्रदान करती है। 

साइबर सुरक्षा के कुछ प्रमुख पहलू:

  • नेटवर्क सुरक्षा: फ़ायरवॉल, घुसपैठ का पता लगाने और रोकथाम प्रणाली, और एन्क्रिप्शन का उपयोग करके नेटवर्क को अनधिकृत पहुंच और हमलों से बचाना।
  • एंडपॉइंट सुरक्षा: कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल डिवाइस और अन्य उपकरणों को मैलवेयर, वायरस और अन्य खतरों से सुरक्षित रखना।
  • एप्लिकेशन सुरक्षा: सॉफ्टवेयर और वेब एप्लिकेशन को साइबर हमलों से सुरक्षित करना।
  • सूचना सुरक्षा: संवेदनशील डेटा को सुरक्षित रखना और अनधिकृत पहुंच, उपयोग या प्रकटीकरण को रोकना।
  • क्लाउड सुरक्षा: क्लाउड-आधारित सेवाओं और डेटा को सुरक्षा खतरों से सुरक्षित करना।
  • पहचान और पहुंच प्रबंधन: यह सुनिश्चित करना कि केवल अधिकृत उपयोगकर्ता ही सिस्टम और डेटा तक पहुंच सकें। 

साइबर सुरक्षा के लिए कुछ सामान्य उपाय निम्न प्रकार हैं-

  • मजबूत पासवर्ड: जटिल और अद्वितीय पासवर्ड का उपयोग करना और उन्हें नियमित रूप से बदलना।
  • सॉफ्टवेयर को अपडेट करना: ऑपरेटिंग सिस्टम, एप्लिकेशन और सुरक्षा सॉफ़्टवेयर को नवीनतम संस्करणों में अपडेट करना।
  • सुरक्षा सॉफ़्टवेयर का उपयोग करना: एंटीवायरस, एंटीमैलवेयर और फ़ायरवॉल जैसे सुरक्षा सॉफ़्टवेयर का उपयोग करना।
  • सुरक्षा जागरूकता प्रशिक्षण: कर्मचारियों और उपयोगकर्ताओं को साइबर खतरों और सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में शिक्षित करना।
  • डेटा बैकअप: नियमित रूप से डेटा का बैकअप लेना ताकि उसे किसी भी नुकसान या क्षति की स्थिति में पुनर्स्थापित किया जा सके।
  • सुरक्षा नीतियों और प्रक्रियाओं का कार्यान्वयन: एक व्यापक सुरक्षा योजना बनाना और उसे लागू करना जो सभी कर्मचारियों और हितधारकों पर लागू हो।
  • नियमित सुरक्षा ऑडिट: यह सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से सुरक्षा ऑडिट करना कि सुरक्षा उपाय प्रभावी ढंग से काम कर रहे हैं। 

क्लाउड कम्प्यूटिंग क्या है?

क्लाउड कंप्यूटिंग इंटरनेट के माध्यम से विभिन्न कंप्यूटिंग सेवाओं, जैसे स्टोरेज, सर्वर, डेटाबेस, नेटवर्किंग, सॉफ्टवेयर, एनालिटिक्स और इंटेलिजेंस की ऑन-डिमांड उपलब्धता है। आप इन संसाधनों का उपयोग अपनी आवश्यकता के अनुसार करते हैं और केवल उन्हीं के लिए भुगतान करते हैं, जिससे आपको भौतिक डेटा सेंटर और सर्वर खरीदने, उनका स्वामित्व रखने और उनका रखरखाव करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। 

यह कैसे काम करता है?

  • भौतिक बुनियादी ढांचे (जैसे सर्वर) को किराए पर लेने के बजाय आप Amazon Web Services (AWS) या Microsoft Azure जैसे क्लाउड प्रदाता से कंप्यूटिंग संसाधन प्राप्त करते हैं। 
  • ये संसाधन दूरस्थ सर्वरों और डेटा केंद्रों में स्थित होते हैं, जिन तक आप इंटरनेट के माध्यम से पहुँच सकते हैं। 

क्लाउड कंप्यूटिंग के लाभ

  • लागत बचत: आप केवल उन सेवाओं के लिए भुगतान करते हैं जिनका आप उपयोग करते हैं, जिससे महंगे हार्डवेयर और बुनियादी ढांचे की लागत कम होती है। 
  • लचीलापन और स्केलेबिलिटी: आप अपनी व्यावसायिक ज़रूरतों के अनुसार संसाधनों को आसानी से बढ़ा या घटा सकते हैं। 
  • विश्वसनीयता: कई प्रदाता अपनी सेवाओं को कई स्थानों पर वितरित करते हैं, जिससे डेटा हानि या आउटेज का खतरा कम होता है। 
  • त्वरित नवाचार: क्लाउड प्रदाता लगातार नई प्रौद्योगिकियाँ प्रदान करते हैं, जिससे व्यवसाय तेज़ी से नवाचार कर सकते हैं। 
  • पहुँच: आप कहीं से भी, किसी भी डिवाइस से अपने डेटा और अनुप्रयोगों तक पहुँच सकते हैं। 

क्लाउड कंप्यूटिंग के उदाहरण

  • डेटा स्टोरेज: Google Drive, Dropbox, या OneDrive जैसी सेवाएँ डेटा को क्लाउड में स्टोर करती हैं। 
  • सॉफ्टवेयर-ए-ए-सर्विस (SaaS): Salesforce या Microsoft 365 जैसे सॉफ़्टवेयर को बिना किसी इंस्टॉलेशन के इंटरनेट पर उपयोग किया जा सकता है। 
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर-ए-ए-सर्विस (IaaS): AWS जैसे प्रदाता आपको वर्चुअल मशीनें और स्टोरेज किराए पर लेने की सुविधा देते हैं। 

नेटवर्क क्या होता है?

नेटवर्क (Network) शब्द का अर्थ है दो या दो से अधिक कंप्यूटरों या उपकरणों का एक समूह जो एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और डेटा या सूचना साझा करने में सक्षम हैं। यह एक प्रणाली है जो विभिन्न उपकरणों को एक साथ काम करने और जानकारी साझा करने की अनुमति देती है।

नेटवर्क के प्रकार –

LAN : लोकल एरिया नेटवर्क (LAN), यह एक ऐसा नेटवर्क है जो एक सीमित क्षेत्र जैसे कि घर, कार्यालय या स्कूल में उपस्थित उपकरणों को आपस में जोड़ता है। LAN में, कंप्यूटर, प्रिंटर और अन्य डिवाइस एक-दूसरे के साथ डेटा और संसाधनों को साझा कर सकते हैं। 

MAN : मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क (MAN), एक कंप्यूटर नेटवर्क है जो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र जैसे कि एक शहर को कवर करता है। यह LAN (लोकल एरिया नेटवर्क) से बड़ा और WAN (वाइड एरिया नेटवर्क) से छोटा होता है।

WAN : वाइड एरिया नेटवर्क (WAN), एक ऐसा कंप्यूटर नेटवर्क है जो बड़े भौगोलिक क्षेत्रों को कवर करता है, जैसे कि शहर, देश, या फिर पूरा विश्व। यह स्थानीय नेटवर्क (LAN) को जोड़ता है और विभिन्न स्थानों पर स्थित उपकरणों को संचार करने की अनुमति देता है। 

नेटवर्क टोपोलोजी क्या है?

टोपोलॉजी (Topology) का मतलब है कि कंप्यूटर नेटवर्क में उपकरणों (जैसे कंप्यूटर, प्रिंटर, सर्वर, आदि) की व्यवस्था या लेआउट कैसे है। दूसरे शब्दों में, यह बताता है कि नेटवर्क में डिवाइस एक दूसरे से कैसे जुड़े हुए हैं और डेटा का आदान-प्रदान कैसे होता है।

टोपोलोजी के प्रकार –

BUS : बस टोपोलॉजी एक प्रकार की नेटवर्क टोपोलॉजी है जिसमें सभी उपकरण एक ही केबल से जुड़े होते हैं जिसे “बस” कहा जाता है। यह केबल एक साझा संचार माध्यम (shared communication medium) के रूप में कार्य करता है, जिससे नेटवर्क पर सभी उपकरण एक साथ समान सिग्नल प्राप्त कर सकते हैं।

STAR : स्टार टोपोलॉजी एक कंप्यूटर नेटवर्क टोपोलॉजी है जिसमें सभी डिवाइस (जैसे कंप्यूटर, प्रिंटर) एक केंद्रीय हब या स्विच से जुड़े होते हैं। यह एक तारे के आकार का दिखता है, जिसमें हब/स्विच केंद्र में होता है और सभी डिवाइस उससे जुड़े होते हैं। 

RING : रिंग टोपोलॉजी एक प्रकार का नेटवर्क कॉन्फ़िगरेशन है जहाँ उपकरण (जैसे कंप्युटर, प्रिंटर) एक वृत्ताकार तरीके से जुड़े होते हैं और एक बंद लूप बनाते हैं। इस व्यवस्था में, प्रत्येक उपकरण ठीक दो अन्य उपकरणों से जुड़ा होता है, जिससे डेटा ट्रांसमिशन के लिए एक सतत मार्ग बनता है। इसका मतलब है कि डेटा रिंग के चारों ओर केवल एक ही दिशा में यात्रा करता है, और प्रत्येक उपकरण से गुजरते हुए अपने गंतव्य तक पहुँचता है।

MESH : मैश टोपोलॉजी एक प्रकार का नेटवर्क है जिसमें प्रत्येक डिवाइस, नेटवर्क में मौजूद हर दूसरे डिवाइस से सीधे जुड़ा होता है। इस टोपोलॉजी में, डेटा को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस तक पहुंचाने के कई रास्ते होते हैं, जिससे यह बहुत विश्वसनीय हो जाता है. यदि एक कनेक्शन विफल हो जाता है, तो डेटा अभी भी दूसरे रास्ते से जा सकता है. 

TREE : ट्री टोपोलॉजी (Tree Topology) कंप्यूटर नेटवर्क में एक प्रकार की टोपोलॉजी है जो पेड़ के आकार की होती है। इसमें एक केंद्रीय नोड होता है, जिसे रूट नोड भी कहा जाता है, और उससे कई शाखाएं निकली होती हैं, जिन पर अन्य नोड्स जुड़े होते हैं। यह टोपोलॉजी स्टार और बस टोपोलॉजी का संयोजन है। 

HYBRID : हाइब्रिड टोपोलॉजी (Hybrid Topology) एक प्रकार की नेटवर्क टोपोलॉजी है जिसमें दो या दो से अधिक विभिन्न प्रकार की टोपोलॉजी (जैसे स्टार, बस, रिंग, मेश) को मिलाकर एक नया नेटवर्क बनाया जाता है। यह टोपोलॉजी विभिन्न टोपोलॉजी के फायदों को एक साथ लाने और उनके नुकसान को कम करने में मदद करती है. 

इंटरनेट एवं नेटवर्किंग डिवाइसेस

Router : राउटर एक ऐसा उपकरण है जो दो या दो से अधिक नेटवर्क को आपस मे जोड़ता है, जैसे कि आपके घर का लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) और इंटरनेट। यह आपके उपकरणों (जैसे कंप्यूटर, फोन, आदि) को इंटरनेट से जुड़ने और एक दूसरे के साथ संवाद करने की अनुमति देता है। संक्षेप में, राउटर आपके घर या ऑफिस में इंटरनेट कनेक्शन को प्रबंधित और वितरित करने का काम करता है।

Hub : हब एक ऐसा उपकरण है जो कई कंप्यूटरों, प्रिंटर या अन्य नेटवर्क उपकरणों को एक साथ जोड़ता है। यह एक केंद्रीय डिवाइस के रूप में कार्य करता है जिसके माध्यम से डेटा प्रसारित होता है। जब एक डिवाइस से डेटा भेजा जाता है, तो हब उस डेटा को नेटवर्क के सभी उपकरणों को भेजता है। हब, OSI मॉडल की भौतिक परत पर काम करता है।

Switch : नेटवर्क स्विच एक ऐसा डिवाइस है जो नेटवर्क में कई उपकरणों को आपस मे जोड़ता है और उन्हें एक-दूसरे के साथ संचार करने की अनुमति देता है। हब के विपरीत, स्विच नेटवर्क पर सभी उपकरणों को डेटा प्रसारित करने के बजाय, केवल उस उपकरण को डेटा संचारित कर सकते हैं जिसके लिए वे लक्षित हैं। स्विच OSI मॉडल के डेटा लिंक लेयर पर काम करते हैं और लोकल एरिया नेटवर्क में हब की तुलना में बेहतर प्रदर्शन और सुरक्षा प्रदान करते हैं। ये उपकरण डेटा को सही गंतव्य तक अग्रेषित करने के लिए MAC एड्रेस का उपयोग करते हैं, जिससे नेटवर्क के भीतर डेटा ट्रांसमिशन अधिक कुशल और सुरक्षित हो जाता है।

Gateway : गेटवे (Gateway) एक नेटवर्क कनेक्टिविटी डिवाइस या सॉफ़्टवेयर है जो दो अलग-अलग नेटवर्क को जोड़ता है जो विभिन्न ट्रांसमिशन प्रोटोकॉल का उपयोग करते हैं। यह एक नेटवर्क के लिए प्रवेश और निकास बिंदु के रूप में कार्य करता है, जिसका अर्थ है कि नेटवर्क से गुजरने वाला सभी ट्रैफ़िक गेटवे से होकर गुजरता है। गेटवे के विभिन्न उदाहरण है।

  • Internet Gateway – एक इंटरनेट गेटवे एक स्थानीय नेटवर्क को इंटरनेट से जोड़ता है, जिससे स्थानीय नेटवर्क के उपकरण इंटरनेट तक पहुंच सकते हैं। 
  • Mobile Gateway – मोबाइल गेटवे मोबाइल उपकरणों को विभिन्न नेटवर्क (जैसे, 2G, 3G, 4G, 5G) के बीच स्विच करने और डेटा संचारित करने की अनुमति देता है। 
  • Payment Gateway – एक पेमेंट गेटवे ऑनलाइन भुगतान स्वीकार करने और संसाधित करने के लिए एक सुरक्षित चैनल प्रदान करता है। 

Bridge : एक नेटवर्क ब्रिज दो या दो से अधिक नेटवर्क सेगमेंट्स को जोड़ता है, जिससे वे एक ही नेटवर्क की तरह काम करते हैं। यह डेटा लिंक लेयर (लेयर 2) पर काम करता है और MAC पतों के आधार पर डेटा को फ़ॉरवर्ड करता है। संक्षेप में, यह नेटवर्क को विभाजित करने और डेटा को सही गंतव्य तक पहुंचाने में मदद करता है। 

Repeater : एक ऐसा नेटवर्क डिवाइस है जो नेटवर्क सिग्नल को प्रवर्धित और पुनः उत्पन्न करता है। इसका मुख्य काम नेटवर्क की सीमा को बढ़ाना है, खासकर जब सिग्नल कमजोर हो रहा हो या लंबी दूरी तक फैलाना हो. 

NIC : नेटवर्क इंटरफ़ेस कार्ड (NIC) एक ऐसा उपकरण है जो कंप्यूटर को नेटवर्क से जोड़ता है। यह एक हार्डवेयर डिवाइस है जो कंप्यूटर को नेटवर्क पर डेटा भेजने और प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।

WiFi : वाई-फ़ाई डिवाइस एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो रेडियो तरंगों का उपयोग करके तारों (केबलों) के बिना इंटरनेट से जुड़ता है और विभिन्न उपकरणों को एक नेटवर्क बनाने की अनुमति देता है। इसका फुल फॉर्म वायरलेस फिडेलिटी (Wireless Fidelity) है। एक वाई-फाई राउटर वायरलेस सिग्नल भेजता है, जिससे लैपटॉप, स्मार्टफोन, टैबलेट और स्मार्ट टीवी जैसे डिवाइस इंटरनेट से जुड़ पाते हैं।

Bluetooth : ब्लूटूथ एक वायरलेस तकनीक है जो कम दूरी पर डेटा साझा करने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करती है। ब्लूटूथ का इस्तेमाल दस्तावेज़ साझा करने या अन्य ब्लूटूथ-सक्षम डिवाइस से कनेक्ट करने के लिए कर सकते हैं। ब्लूटूथ कनेक्शन के जरिए एक डिवाइस से दूसरी डिवाइस पर डाटा ट्रान्सफर किया जा सकता है।

नेटवर्क मीडिया क्या है?

नेटवर्क मीडिया का मतलब है कंप्यूटर नेटवर्क में डेटा संचारित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले माध्यम। इसमें विभिन्न प्रकार के वायर और वायरलेस माध्यम शामिल होते हैं, ये माध्यम डेटा को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस तक ले जाने का काम करते हैं।

मीडिया के प्रकार

  • वायर्ड मीडिया – ट्विस्टेड-पेयर केबल, कोएक्सियल केबल, फाइबर-ऑप्टिक केबल।
  • वायरलेस मीडिया – रेडियो तरंगें, इन्फ्रारेड तरंगें, वाईफाई, ब्लूटूथ आदि। 

Internet and Network में TCP/IP मॉडल क्या है?

TCP/IP मॉडल एक संचार मॉडल है जो Internet and Network पर डेटा के आदान-प्रदान के लिए नियमों का एक सेट प्रदान करता है। इसे 1970 और 1980 के दशक में अमेरिकी रक्षा विभाग (D.O.D.) द्वारा विकसित किया गया था। यह मॉडल एंड-टू-एंड संचार प्रदान करता है, जिससे विभिन्न नेटवर्क के बीच डेटा का सुरक्षित और विश्वसनीय ट्रांसमिशन संभव होता है। 

TCP/IP मॉडल की चार परतें होती हैं: 

  1. एप्लीकेशन लेयर (Application Layer): यह परत उपयोगकर्ताओं के साथ इंटरैक्ट करती है और विभिन्न एप्लिकेशन प्रोटोकॉल जैसे HTTP, FTP, SMTP, आदि प्रदान करती है। 
  2. ट्रांसपोर्ट लेयर (Transport Layer): यह परत डेटा को पैकेटों में विभाजित करती है और एंड-टू-एंड कनेक्शन प्रदान करती है, यह सुनिश्चित करती है कि डेटा सही क्रम में और बिना किसी त्रुटि के पहुंचे। 
  3. इंटरनेट लेयर (Internet Layer): यह परत डेटा को पैकेटों में रूट करने और भेजने के लिए जिम्मेदार है, यह सुनिश्चित करती है कि डेटा सही नेटवर्क तक पहुंचे। 
  4. नेटवर्क एक्सेस लेयर (Network Access Layer): यह परत डेटा को भौतिक नेटवर्क पर भेजने के लिए जिम्मेदार है, जिसमें भौतिक और डेटा लिंक परतें शामिल हैं।

TCP/IP मॉडल के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं-

  • यह एक मानकीकृत मॉडल है, जिसका अर्थ है कि विभिन्न नेटवर्क और उपकरणों के बीच संचार संभव है।
  • यह एक लचीला मॉडल है, जिसका मतलब है कि इसे विभिन्न प्रकार के नेटवर्क और अनुप्रयोगों के लिए अनुकूलित किया जा सकता है।
  • यह एक विश्वसनीय मॉडल है, जिसका अर्थ है कि यह सुनिश्चित करता है कि डेटा सही क्रम में और बिना किसी त्रुटि के पहुंचे।

TCP/IP मॉडल इंटरनेट और अन्य नेटवर्क पर डेटा के आदान-प्रदान के लिए एक महत्वपूर्ण मॉडल है। यह एक मानकीकृत, लचीला और विश्वसनीय मॉडल है जो विभिन्न नेटवर्क और उपकरणों के बीच संचार को संभव बनाता है। 

Internet and Network में OSI मॉडल क्या है?

OSI मॉडल, या ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन मॉडल, एक वैचारिक (Ideological) ढांचा है जो Internet and Network में डेटा संचार को समझने और व्यवस्थित करने के लिए बनाया गया है। यह एक मानक मॉडल है जो विभिन्न नेटवर्किंग कार्यों को सात अलग-अलग परतों में विभाजित करता है, प्रत्येक परत (Layer) एक विशिष्ट कार्य करती है। इसका उद्देश्य विभिन्न कंप्यूटर प्रणालियों को एक-दूसरे के साथ संचार करने में सक्षम बनाना है, ताकि विभिन्न हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर तकनीकें एक साथ मिलकर काम कर सकें।

OSI मॉडल की सात परतें निम्नवत हैं-

  1. फिजिकल लेअर (Physical Layer): यह परत डेटा को बिट्स के रूप में प्रसारित करने के लिए जिम्मेदार है, और यह नेटवर्क के भौतिक माध्यम (जैसे केबल, वायरलेस सिग्नल) से संबंधित है।
  2. डेटा लिंक लेयर (Data Link Layer): यह परत डेटा को फ्रेम्स में व्यवस्थित करने और त्रुटि-मुक्त डेटा संचरण सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है।
  3. नेटवर्क लेयर (Network Layer): यह परत डेटा को एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क में रूट करने के लिए जिम्मेदार है, और इसमें आईपी एड्रेसिंग शामिल है।
  4. ट्रांसपोर्ट लेयर (Transport Layer): यह परत डेटा को एंड-टू-एंड डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है, और इसमें डेटा को सेगमेंट्स में विभाजित करना और त्रुटि जांच शामिल है।
  5. सेशन लेयर (Session Layer): यह परत संचार सत्रों को स्थापित करने, प्रबंधित करने और समाप्त करने के लिए जिम्मेदार है।
  6. प्रेजेंटेशन लेयर (Presentation Layer): यह परत डेटा के प्रारूपण और एन्क्रिप्शन के लिए जिम्मेदार है, ताकि विभिन्न प्रणालियों के बीच डेटा का आदान-प्रदान सुचारू रूप से हो सके।
  7. अप्लीकेशन लेयर (Application Layer): यह परत उपयोगकर्ता को नेटवर्क सेवाओं तक पहुंचने की अनुमति देती है, जैसे कि ईमेल, फ़ाइल स्थानांतरण, आदि।

OSI मॉडल का उपयोग नेटवर्क समस्याओं का निवारण करने, नेटवर्क प्रोटोकॉल के संचालन को समझने और नेटवर्क सुरक्षा का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है। 

WAN आर्किटेक्चर क्या है?

वाइड-एरिया नेटवर्क (WAN) आर्किटेक्चर ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन (OSI) मॉडल पर आधारित हैं जो सभी दूरसंचार को वैचारिक रूप से परिभाषित और मानकीकृत करता है। OSI मॉडल किसी भी कंप्यूटर नेटवर्क को सात परतों में काम करने के लिए कल्पना करता है। विभिन्न नेटवर्किंग तकनीकें इन विभिन्न परतों में से प्रत्येक पर काम करती हैं और साथ मिलकर एक कार्यशील WAN बनाती हैं।

नेटवर्क प्रोटोकॉल क्या हैं?

नेटवर्क प्रोटोकॉल, नियमों और प्रक्रियाओं का एक समूह है जो Internet and Network में उपलब्ध कंप्यूटरों और उपकरणों को एक नेटवर्क पर संवाद करने में सक्षम बनाता है। ये प्रोटोकॉल डेटा को प्रारूपित करने, भेजने, प्राप्त करने और संसाधित करने के तरीके को परिभाषित करते हैं, भले ही वे अलग-अलग ऑपरेटिंग सिस्टम या हार्डवेयर का उपयोग कर रहे हों। कुछ सामान्य नेटवर्क प्रोटोकॉल में TCP, UDP, IP, HTTP, FTP, SMTP, DNS, DHCP, और SNMP शामिल हैं। 

विभिन्न प्रकार के नेटवर्क प्रोटोकॉल-

  • TCP (Transmission Control Protocol): एक कनेक्शन-उन्मुख प्रोटोकॉल है जो विश्वसनीय, क्रमबद्ध डेटा ट्रांसमिशन प्रदान करता है। यह सुनिश्चित करता है कि डेटा पैकेट सही क्रम में पहुंचे और खोए हुए पैकेटों को फिर से भेजा जाए। 
  • UDP (User Datagram Protocol): एक कनेक्शनरहित प्रोटोकॉल है जो टीसीपी की तुलना में तेज़ है लेकिन डेटा ट्रांसमिशन की विश्वसनीयता की गारंटी नहीं देता है।
  • IP (Internet Protocol): नेटवर्क पर डेटा पैकेटों को रूट करने के लिए उपयोग किया जाता है। 
  • HTTP (Hyper Text Transfer Protocol): वेब ब्राउज़िंग के लिए उपयोग किया जाता है, जो क्लाइंट और सर्वर के बीच डेटा के आदान-प्रदान को नियंत्रित करता है। 
  • FTP (File Transfer Protocol): फ़ाइलों को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर स्थानांतरित करने के लिए उपयोग किया जाता है। 
  • SMTP (Simple Mail Transfer protocol): ईमेल भेजने के लिए उपयोग किया जाता है। 
  • DNS (Domain Name System): डोमेन नामों को आईपी पतों में अनुवाद करता है, जिससे उपयोगकर्ताओं के लिए वेबसाइटों तक पहुंचना आसान हो जाता है। 
  • DHCP (Dynamic Host Configuration Protocol): नेटवर्क पर उपकरणों को स्वचालित रूप से आईपी पते और अन्य नेटवर्क सेटिंग्स प्रदान करता है। 
  • SNMP (Simple Network Management Protocol): नेटवर्क उपकरणों को प्रबंधित और निगरानी करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • TELNET (Teletype Network): टेलनेट एक नेटवर्क प्रोटोकॉल है जो आपको किसी दूसरे कंप्यूटर (सर्वर) से कनेक्ट करने और उस पर कमांड चलाने की अनुमति देता है, जैसे कि आप उस कंप्यूटर पर सीधे बैठे हों। यह एक टेक्स्ट-आधारित संचार चैनल बनाता है, जो आपको सर्वर के कमांड-लाइन इंटरफ़ेस तक पहुंचने में सक्षम बनाता है। 

ये प्रोटोकॉल विभिन्न प्रकार के कार्यों को पूरा करने के लिए एक साथ काम करते हैं, जिससे नेटवर्क पर संचार और डेटा साझाकरण संभव होता है। 

नेटवर्क एड्रैस क्या होता है?

एक नेटवर्क एड्रेस, कंप्यूटर नेटवर्क में एक डिवाइस (जैसे, कंप्यूटर, सर्वर, राउटर) की पहचान करने के लिए इस्तेमाल होने वाला एक अद्वितीय नंबर या पता होता है। यह एक तरह से उस डिवाइस का “पता” होता है, जिससे नेटवर्क में डेटा भेजा और प्राप्त किया जा सकता है।

उदाहरण के लिए इंटरनेट पर प्रत्येक डिवाइस का एक आईपी एड्रेस (IP address) होता है, जो एक नेटवर्क एड्रेस है। Ex – 192.168.10.1


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