Feature Image : Accounting and bookkeeping

Important things about Accounting and Bookkeeping.

नमस्कार दोस्तों, इस लेख मे आप अकाउंटिंग की मूल बातें जानेंगे। अकाउंटिंग, जिसे हिंदी में लेखांकन कहा जाता है, वित्तीय जानकारी के प्रबंधन और रिकॉर्डिंग की एक प्रक्रिया है। यह व्यवसायों, संगठनों और व्यक्तियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है; क्योंकि यह वित्तीय निर्णय लेने में सहायता करता है। लेखांकन के मूल सिद्धांतों को समझना वित्तीय सफलता और स्थिरता की दिशा में पहला कदम है। इस ब्लॉग Important things about Accounting and Bookkeeping में हम लेखांकन के बुनियादी सिद्धांतों पर चर्चा करेंगे। अगर आप एक नए व्यवसायी हैं या अकाउंटिंग के क्षेत्र में अपने ज्ञान को बढ़ाना चाहते हैं. यह ब्लॉग आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

नोट – Tally Prime Series (टैली सीरीज) का यह पहला आर्टिकल है, टैली सीरीज के सभी स्टेप बाई स्टेप सभी आर्टिकल के लिए क्लिक करें।

Table of Contents

अकाउंटिंग क्या है? (What is Accounting)

अकाउंटिंग (लेखांकन) एक व्यवस्थित प्रक्रिया है जिसमें किसी व्यवसाय के वित्तीय लेन-देन को रिकॉर्ड, वर्गीकृत, संक्षेप और रिपोर्ट किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य व्यवसाय की वित्तीय स्थिति और प्रदर्शन का आकलन करना है।

अकाउंटिंग के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे –

  • फाइनेंशियल अकाउंटिंग (Financial Accounting): इसमें कंपनी की बैलेंस शीट, आय विवरण और नकदी प्रवाह का विवरण शामिल होता है।
  • कॉस्ट अकाउंटिंग (Cost Accounting): इसमें उत्पादन (Manufacturing) की लागत और अन्य खर्चों का विश्लेषण किया जाता है।
  • मैनेजरियल अकाउंटिंग (Managerial Accounting): इसमें प्रबंधन (Management) के लिए आंतरिक रिपोर्ट तैयार की जाती है।
  • टैक्स अकाउंटिंग (Tax Accounting): इसमें करों (Taxes) से संबंधित लेन-देन का लेखा-जोखा रखा जाता है।

अकाउंटिंग व्यवसायों को आय, व्यय, लाभ और हानि को ट्रैक करने में मदद करता है, जिससे वे बेहतर वित्तीय निर्णय ले सकते हैं।

अकाउंटिंग करने के तरीके (Methods of Accounting)

अकाउंटिंग (Accounting) व्यवसाय की वित्तीय स्थिति और प्रदर्शन को ट्रैक करने और उसका विश्लेषण करने की प्रक्रिया है। इसमें वित्तीय लेन-देन को रिकॉर्ड, वर्गीकृत, संक्षेपित और व्याख्या की जाती है। अकाउंटिंग करने के मुख्य दो तरीके होते हैं, जो निम्न प्रकार हैं।

मैनुअल अकाउंटिंग (Manual Accounting)

यह सभी व्यावसायिक लेनदेन व अन्य क्रिया-कलापों को रजिस्टर व पेन-पेंसिल के माध्यम से लिखने की एक विधि है। कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर का उपयोग मैनुअल सिस्टम के अंतर्गत नहीं किया जाता है। इस प्रक्रिया का उपयोग करते हुए कई पुस्तकों का निर्माण किया जाता है जो इस प्रकार हैं-

  1. Day book (स्मरण पुस्तक)
  2. Journal (रोजनामचा)
  3. Ledger (खाताबही)
  4. Trial Balance (तलपट)
  5. Trading Profit and Loss (व्यापारिक लाभ-हानि पुस्तक)
  6. Balance sheet (आर्थिक चिट्ठा)

कम्प्यूटरीकृत अकाउंटिंग (Computerized Accounting)

आज के समय में हर व्यवसाय के लिए कम्प्यूटरीकृत लेखांकन एक आवश्यकता बन गया है। कम्प्यूटरीकृत लेखांकन खातों को आसान और सटीक तरीके से बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका है। कम्प्यूटरीकृत लेखांकन की सहायता से, आप सभी व्यवसायिक पुस्तके जैसे- Sales Register, Purchase Register, Cash Book, Day Book, Ledger आदि को आसानी से बनाए रख सकते हैं।

टैली सॉफ्टवेयर कंप्यूटरीकृत अकाउंटिंग के लिए सबसे सरल और संपूर्ण व्यावसायिक समाधानों में से एक है। कोई भी व्यक्ति जिसे खातों की बुनियादी जानकारी है, वह टैली का उपयोग कर सकता है। टैली को सीखना, कॉन्फ़िगर करना और उपयोग करना आसान है।

बुककीपिंग क्या है (What is Bookkeeping)

अकाउंटिंग एवं बुककीपिंग (Accounting and Bookkeeping) एक वित्तीय प्रक्रिया है जिसमें किसी व्यवसाय के सभी वित्तीय लेन-देन को व्यवस्थित रूप से रिकॉर्ड किया जाता है। बुककीपिंग का मुख्य उद्देश्य वित्तीय जानकारी को सही और व्यवस्थित तरीके से दर्ज करना होता है ताकि व्यवसाय की वित्तीय स्थिति और प्रदर्शन का सही-सही मूल्यांकन किया जा सके।

बुककीपिंग के मुख्य कार्य

  1. लेन-देन का रिकॉर्ड रखना: सभी वित्तीय लेन-देन जैसे बिक्री, खरीद, प्राप्तियाँ, और भुगतान को दर्ज करना।
  2. वित्तीय दस्तावेज तैयार करना: चालान (Invoices), रसीदें (Receipts), और भुगतान रसीदें (Payment Vouchers) आदि तैयार करना।
  3. खातों का वर्गीकरण करना: लेन-देन को विभिन्न खातों जैसे एसेट्स, लायबिलिटीज, इक्विटी, रेवेन्यू, और एक्सपेंसेस में वर्गीकृत करना।
  4. वित्तीय रिपोर्ट तैयार करना: बैलेंस शीट (Balance Sheet), आय विवरण (Income Statement), और नकदी प्रवाह विवरण (Cash Flow Statement) तैयार करना।
  5. समाधान और मिलान: बैंकों और अन्य खातों के विवरण को मिलाना और उन्हें सुसंगत बनाना।

बुककीपिंग के प्रकार (Types of Book Keeping)

  • सिंगल एंट्री बुककीपिंग (Single-Entry Bookkeeping): इसमें प्रत्येक लेन-देन को केवल एक बार दर्ज किया जाता है, जो मुख्यतः नकदी और व्यक्तिगत खातों पर केंद्रित होता है। यह प्रणाली छोटे व्यवसायों के लिए उपयुक्त होती है।
  • डबल एंट्री बुककीपिंग (Double-Entry Bookkeeping): इसमें प्रत्येक लेन-देन को दो बार दर्ज किया जाता है: एक बार डेबिट (Debit) के रूप में और एक बार क्रेडिट (Credit) के रूप में। यह प्रणाली बड़ी और जटिल वित्तीय संरचना वाले व्यवसायों के लिए उपयुक्त होती है। यह प्रणाली अधिक सटीक होती है और वित्तीय रिपोर्टिंग के लिए आवश्यक होती है।

डबल एंट्री बुककीपिंग में खातों के प्रकार:

  1. एसेट्स (Assets): जैसे नकद, बैंक बैलेंस, इमारतें, मशीनरी
  2. लायबिलिटीज (Liabilities): जैसे लोन, क्रेडिटर्स
  3. इक्विटी (Equity): मालिक का निवेश और लाभ
  4. रेवेन्यू (Revenue): बिक्री, सेवा आय
  5. एक्सपेंसेस (Expenses): वेतन, किराया, बिजली का बिल

बुककीपिंग के लाभ (Benefits of Bookkeeping)

  • सटीक वित्तीय रिकॉर्ड: व्यवसाय की वित्तीय स्थिति की सटीक जानकारी।
  • बेहतर वित्तीय प्रबंधन: वित्तीय निर्णय लेने में मदद।
  • कर अनुपालन: कर अनुपालन को सरल बनाता है।
  • वित्तीय विश्लेषण: व्यवसाय के प्रदर्शन का विश्लेषण करने में सहायक।
  • धोखाधड़ी की रोकथाम: वित्तीय रिकॉर्ड की नियमित जांच से धोखाधड़ी की संभावना कम होती है।

बुककीपिंग किसी भी व्यवसाय के वित्तीय प्रबंधन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह सुनिश्चित करती है कि सभी वित्तीय लेन-देन सही और पारदर्शी तरीके से दर्ज हों।

अकाउंटिंग बुक्स के प्रकार (Types of Accounting Books)

अकाउंट बुक्स (Account Books) वित्तीय लेन-देन को रिकॉर्ड करने के लिए उपयोग की जाती हैं। ये बुक्स व्यवसाय के विभिन्न प्रकार के खातों को ट्रैक और प्रबंधित करने में मदद करती हैं। यहां कुछ प्रमुख प्रकार की अकाउंट बुक्स का विवरण दिया गया है:

  1. जर्नल (Journal) – जर्नल को बुक ऑफ प्राइमरी एंट्री (Book of Primary Entry) भी कहा जाता है। इस पुस्तक में डेबिट तथा क्रेडिट सिद्धांतों के आधार पर रोजाना हुए लेनदेन को तारीखों के क्रम में रिकॉर्ड किया जाता है
  2. सामान्य जर्नल (General Journal) – इस पुस्तक में वे सभी लेन-देन दर्ज होते हैं जो विशेष जर्नल में नहीं आते, जैसे समायोजन एंट्री (Adjustment Entry), सुधार एंट्री (Correction Entry) आदि।
  3. सामान्य लेजर (General Ledger) – इस पुस्तक को सेकेंडरी बुक भी कहा जाता है। इसमें जर्नल से लेन-देन की एंट्री को पोस्ट किया जाता है और इसे विभिन्न खातों में वर्गीकृत किया जाता है। जिससे व्यापार की संपत्तियाँ, देनदारी, लेनदारी, आय-व्यय का पता लगाया जाता है।
  4. कैश रीसिप्ट बुक (Cash Receipt Book) – यह पुस्तक व्यापार में सभी नकद प्राप्तियों को रिकॉर्ड करने के लिए उपयोग मे लाई जाती है। जैसे नकद माल की बिक्री, नकद संपत्ति की बिक्री, ग्राहकों से वसूली आदि।
  5. कैश डिसबर्समेंट बुक (Cash Disbursement Book) – यह पुस्तक व्यापार में सभी नकद पेमेंट को रिकॉर्ड करने के लिए उपयोग में लाई जाती है। जैसे नकद माल की खरीददारी, नकद संपत्ति की खरीददारी आदि।
  6. पर्चेज बुक (Purchase Book) – पर्चेज बुक का इस्तेमाल क्रेडिट (उधार) खरीद को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है।
  7. सेल्स बुक (Sales Book) – सेल्स बुक का इस्तेमाल क्रेडिट (उधार) बिक्री को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है।
  8. पर्चेज रिटर्न बुक (Purchase Return Book) – पर्चेज रिटर्न बुक का इस्तेमाल आपूर्तिकर्ता को खरीदे गए माल की वापसी रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है। इसे रिटर्न आउटवार्ड (Return Outward Book) बुक भी कहते है।
  9. सेल्स रिटर्न बुक (Sales Return Book) – सेल्स रिटर्न बुक का इस्तेमाल कस्टमर द्वारा बिके माल की वापसी रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है। इसे रिटर्न इनवार्ड बुक (Return Inward Book) भी कहते हैं।
  10. पिटी कैश बुक (Petty Cash Book) – पेटी कैश बुक में छोटे और दैनिक खर्चों को रिकॉर्ड किया जाता है जो मुख्य कैश बुक में दर्ज नहीं किए जाते।

अकाउंटिंग एवं बुककीपिंग करने के उद्देश्य (Purpose of doing Accounting and Bookkeeping)

अकाउंटिंग का मुख्य उद्देश्य व्यापारियो को व्यापार से संबंधित क्रिया कलापों का ज्ञान कराना है, इसके अंतर्गत आने वाले कुछ मुख्य बिन्दु निम्न प्रकार है;

  • क्रय विक्रय की जानकारी (Purchase Sales Information) – Accounts व Book Keeping के द्वारा ही एक व्यापारी यह जानकारी प्राप्त कर सकता है कि व्यापार मे कितना माल खरीदा गया तथा कितना माल बेचा गया तथा कितना माल शेष बचा हुआ है।
  • धनराशि की जानकारी (Amount Information) – Account व Book Keeping के द्वारा ही रकम की सही-सही जानकारी प्राप्त की जा सकती है, Accounting के द्वारा ही यह पता चलता है कि व्यापार मे कितनी रकम नकद तथा किस बैंक मे जमा है ।
  • देनदारों/लेनदारों की जानकारी (Creditors/Debtor Information) – Accounts के माध्यम से ही लेनदारों व देनदारों की सम्पूर्ण जनकारी प्राप्त की जा सकती है कि कितना पैसा किससे वसूलना है तथा कितना पैसा किसको देना है।
  • पूंजी की जानकारी (Capital Information) – Accounting के द्वारा ही पूंजी की सही-सही जानकारी प्राप्त की जा सकती है तथा व्यापार के आरंम्भ व अंत मे हुए Capital मे बदलावों की जानकारी भी पता चलती है ।
  • लाभ व हानि की जानकारी (Profit & Loss Information) – व्यापार मे होने वाले लाभ व हानि की सही-सही जानकारी Accounting के द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है।
  • आय व व्यय की जानकारी (Income and Expense Information) – Accounting के द्वारा व्यापारी यह पता कर सकता है कि व्यापार से कितनी आय हो रही है तथा किन-किन श्रोतों से हो रही है, तथा खर्चो का सही-सही पता भी Accounting के द्वारा ही किया जा सकता है।
  • संपत्ति की जानकारी (Assets Information) – व्यापार मे सभी प्रकार की स्थायी व अस्थायी सम्पत्तियों की जानकारी Accounting के द्वारा ही सही-सही प्राप्त की जा सकती है।
  • कर की जानकारी (Tax Information) – व्यापार मे कई प्रकार के कर् भुगतान करने होते है, जैसे – Income Tax, Excise Duty, Service Tax, GST etc. इन सभी करों तथा इनके भुगतान से संबन्धित सभी जानकारी Accounts के द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है।

अकाउंटिंग एवं बुककीपिंग के लाभ (Benefits of Accounting and Bookkeeping)

व्यापार मे होने वाले लेन-देन को Books of Accounts मे Record करने के अनेक लाभ है, इनका विवरण निम्न प्रकार है;

  • व्यापार का मूल्यांकन (Evolution of Business) – व्यापार मे लेन-देन को Books of Accounts मे Record करने से व्यापार का मूल्यांकन आसानी से किया जा सकता है, तथा व्यापार को बेचते समय इसकी स्थिति का भी पता लगाया जा सकता है।
  • आर्थिक स्थिति का पता लगाना (Knowledge of Economic Position) – कोई भी व्यापारी तब तक व्यापार की आर्थिक स्थिति का सही पता नही लगा सकता है, जब तक सभी लेन-देन को Books of Account मे Record नही किया जाता। इसलिए accounting करना जरूरी होता है।
  • गलतियो से सतर्कता बरतना (Precautions from Mistakes) – व्यापार मे होने वाले सभी लेन देन को याद नही रखा जा सकता इसके लिए इन्हे Books of Account मे रिकॉर्ड किया जाना आवश्यक है, जिससे भविष्य मे आवश्यकता पड़ने पर देखा जा सके तथा सही निष्कर्ष निकाला जा सके और गलतियो से भी बचा जा सके।
  • शीघ्र निर्णय लेना (Quick Decision) – व्यापार मे कुछ मामलो मे शीघ्र निर्णय लेने होते है और यह निर्णय Books of Account के आधार पर ही लिए जाते है।
  • भविष्य के लिए योजना बनाना (Future Planning) – सभी व्यापारी अपने व्यापार को आगे विकसित करने के लिए विभिन्न योजनाये तैयार करते है यह सभी योजनाये व्यापार की आर्थिक स्थिति पर ही तैयार की जा सकती है।
  • कर जुर्माना से बचाव करना (Safe from Tax Penalty) – यदि सभी व्यापारिक लेन-देनो को Books of Account मे Record किया जाता है तो सभी Tax को सही सही निर्धारित किया जा सकता है, तथा व्यापारी अतिरिक्त कर देने से बच सकते है।

अंतिम शब्द

अकाउंटिंग के मूल सिद्धांतों को समझना वित्तीय प्रबंधन की सफलता की कुंजी है। लेखांकन के बुनियादी नियम और अवधारणाएँ न केवल वित्तीय रिपोर्टिंग और विश्लेषण में मदद करती हैं, बल्कि व्यापार निर्णयों को भी संजीवनी शक्ति प्रदान करती हैं। आशा है कि इस ब्लॉग के माध्यम से आपने अकाउंटिंग के मूल तत्वों को समझा होगा यदि आपके पास कोई प्रश्न है या आप अधिक जानकारी चाहते हैं, तो कृपया टिप्पणी करें या संपर्क करें।

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