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Golden Rule of Accounts in Tally: खातों के सुनहरे नियम

वित्तीय लेखांकन की दुनिया में, खातों के सुनहरे नियम (Golden Rule of Accounts) एक महत्वपूर्ण आधारशिला हैं। ये नियम हमें यह समझने में मदद करते हैं कि कैसे विभिन्न प्रकार के लेन-देन को सही तरीके से रिकॉर्ड और व्यस्थित किया जाए। इन नियमों के बिना, किसी भी व्यवसाय या व्यक्तिगत वित्तीय रिकॉर्ड को सटीकता और विश्वसनीयता के साथ बनाए रखना कठिन हो सकता है।

खातों के सुनहरे नियम तीन प्रमुख श्रेणियों में विभाजित हैं: व्यक्तिगत खाते, वास्तविक खाते, और नाममात्र खाते। प्रत्येक श्रेणी के अपने विशेष नियम होते हैं, जो यह निर्दिष्ट करते हैं कि किस प्रकार के लेन-देन को डेबिट और क्रेडिट करना चाहिए।

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम इन नियमों को विस्तार से समझेंगे और जानेंगे कि कैसे वे वित्तीय लेन-देन को व्यवस्थित और पारदर्शी बनाने में मदद करते हैं। चाहे आप एक छात्र हों, एक उद्यमी हों, या बस अपनी वित्तीय समझ (Financial Knowledge) को बेहतर बनाना चाहते हों, ये सुनहरे नियम आपके Financial Management को और अधिक संगठित और सटीक बनाने में सहायक होंगे। तो चलिए शुरू करते हैं;

नोट – Tally Prime सीरीज का यह तीसरा आर्टिकल है, टैली प्राइम के कम्प्लीट आर्टिकल आप इस लिंक Complete Tally Series पर क्लिक करके पा सकते हैं।

खाता क्या होता है? (What is Account)

खातों के सुनहरे नियम (Golden Rule of Accounts) को जानने से पहले, खाता यानि अकाउंट क्या होता है यह जानना जरूरी है। एक खाता (Account) उस नाम से संबंधित होता है, जिस नाम से व्यापारिक लेनदेन को Books of Account मे Record किया जाता है, ये खाते किसी व्यक्ति, पार्टी, कंपनी, संस्था, संपत्ति, खर्चे, आय या व्यय आदि के नाम पर बनाए जाते हैं। उदाहरण के लिए जैसे- 5000 रुपये चाय खर्च भुगतान किए, तो यहाँ चाय खर्चा (Tea Expenses) नाम से खाता बनाया जाएगा। क्योंकि जिसके लिए पैसे का लेनदेन हुआ है खाता भी उसी के नाम से बनेगा, ताकि बाद मे लेनदेन को ट्रैक करने व समझने मे आसानी रहे।

खातो को व्यवहार के आधार पर निम्न चार वर्गो मे बांटा गया है, जो निम्न प्रकार हैं –

  • संपत्ति (Asset) – सभी प्रकार की चल-अचल संपत्तियाँ से संबंधित खाते
  • दायित्व (Liability) – सभी प्रकार की उधारियों से संबंधित खाते
  • आय (Income) – सभी प्रकार की लाभ से संबंधित खाते
  • व्यय (Expenses) – सभी प्रकार के खर्चों से संबंधित खाते

खातों के सुनहरे नियम (Golden Rule of Accounts)

लेखांकन में, सुनहरे नियम वे बुनियादी सिद्धांत हैं जो यह निर्धारित करते हैं कि विभिन्न प्रकार के लेनदेन को डेबिट/क्रेडिट सिद्धांत के साथ खातों में कैसे रिकॉर्ड किया जाए। ये नियम यह सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि वित्तीय रिकॉर्ड सटीक और सुसंगत हों।

  • डेबिट (Debit) : इसका मतलब है कि खाते में मूल्य वृद्धि होती है। इसे बाएं तरफ जर्नल प्रविष्टि में दर्ज किया जाता है।
  • क्रेडिट (Credit) : इसका मतलब है कि खाते में मूल्य कमी होती है। इसे जर्नल प्रविष्टि के दाहिने तरफ दर्ज किया जाता है।

लेखांकन (Accounting) में खातों के सुनहरे नियम (Golden Rules of Accounting) मुख्य तीन प्रकार के खातों पर आधारित होते हैं; व्यक्तिगत खाता, वास्तविक खाता, और नाममात्र खाता। इन नियमों का उपयोग, व्यापारिक लेन-देन को बुक्स ऑफ अकाउंट मे सही ढंग से दर्ज करने के लिए किया जाता है।

1. व्यक्तिगत खाता (Personal Account)

इस प्रकार के खाते किसी विशेष फर्म, कंपनी, पार्टी, व्यक्ति, संस्था आदि से संबन्धित होते है। ऐसे खाते जिनके साथ व्यापार मे किसी भी प्रकार से लेन-देन की डीलिंग की जाती है। जैसे – Kumar Publication, Shri Balaji Machinery, Rajat Furniture, Varuna Steel Pvt Ltd etc.

नियम – Debit : लेने वाला/प्राप्त कर्ता | Credit : देने वाला/सप्लायर
अर्थ जब कोई व्यक्ति या संस्था, पैसा/संपत्ति प्राप्त करती है तो उसे डेबिट (Dr.) किया जाता है। जब कोई व्यक्ति या संस्था, पैसा/संपत्ति देता है तो उसे क्रेडिट (Cr.) किया जाता है।

Debit/CreditAccount TypeExample
Debit (Dr.)Receiver/प्राप्तकर्ता मोहन को 500रु दिया। Dr. Mohan
Credit (Cr.)Giver/देनेवालाविजय से 500 रु लिया। Cr. Vijay
Golden Rule of Accounts : Personal Account

उदाहरण:

  • अगर आपने किसी ग्राहक को उधार दिया, तो ग्राहक का खाता डेबिट किया जाएगा।
  • अगर आपने किसी विक्रेता यानि सप्लायर से उधार लिया, तो विक्रेता का खाता क्रेडिट किया जाएगा।

2. वास्तविक खाता (Real Account)

इस प्रकार के खाते सम्पत्तियों से संबन्धित होते है, यानि जिन संपत्तियों को व्यापार मे खरीदा-बेचा जाता है। जैसे – Goods, Cash, Machinery, Vehicle, Furniture etc.

नियम Debit : संपत्ति जो आए | Credit : संपत्ति जो जाए
अर्थ व्यापार मे जब कोई संपत्ति या संसाधन आता है तो उसे डेबिट (Dr.) किया जाता है। जब कोई संपत्ति या संसाधन जाता है तो उसे क्रेडिट (Cr.) किया जाता है।

Debit/CreditAccount TypeExample
Debit (Dr.)Incoming Assets/संपत्ति जो आएमाल खरीदा कीमत 15000 रु। Dr. Purchase
Credit (Cr.)Outgoing Asset/संपत्ति जो जाएमाल बेचा कीमत 20000 रु । Cr. Sales
Golden Rule of Accounts : Real Account

उदाहरण:

  • अगर आपने माल खरीदा है तो क्रय खाता (Purchase A/c) डेबिट किया जाएगा, क्योंकि माल संपत्ति है जो आ रही है।
  • अगर आपने माल बेचा है तो विक्रय खाता (Sales A/c) क्रेडिट किया जाएगा, क्योंकि यहाँ माल संपत्ति है जो जा रही है।

3. नाममात्र खाता (Nominal Account)

इस प्रकार के खाते व्यापार मे आय-व्यय, लाभ–हानि से संबन्धित होते है, यानि व्यापार मे खर्चों व आय के नाम पर बनाए जाने वाले खाते नाममात्र खाते कहलाते हैं। जैसे – Salaries, Advertisement, Sundry Expense, Freight Inward, Discount Received, Repairing Charges, Rent etc.

नियम – Debit: सभी हानियाँ व खर्चे | Credit: सभी लाभ व आय
अर्थ – जब कोई नुकसान या खर्च होता है तो उसे डेबिट (Dr.) किया जाता है। जब कोई लाभ या आय होती है तो उसे क्रेडिट (Cr.) किया जाता है।

Debit/CreditAccount TypeExample
Debit (Dr.)Losses, Expenses/हानि,खर्चेवेतन दिया 10000 रु। Dr. Salary
Credit (Cr.)Profits, Incomes/लाभ,आयकमीशन प्राप्त किया 5000 रु । Cr. Comission
Golden Rule of Accounts : Nominal Account

उदाहरण:

  • अगर आपने वेतन का भुगतान किया, तो वेतन खाता डेबिट किया जाएगा। क्योंकि वेतन खर्चा है।
  • अगर आपने कमीशन प्राप्त किया, तो कमीशन खाता क्रेडिट किया जाएगा। क्योंकि यहाँ कमीशन आय है।

जर्नल एंट्री अभ्यास (Journal Entry Exercise)

उपरोक्त बताए नियमों के आधार पर यहाँ कुछ जर्नल एंट्री के उदाहरण दिए जा रहे हैं।

1. कोमल इंटरर्प्राइज़ को 25000 रुपये नगद भुगतान किए।

Debit : Komal Enterprise – 25000

Credit : Cash A/c – 25000

नोट – यहाँ कोमल इंटरप्राइज़ प्राप्तकर्ता है, रूल के अनुसार पर्सनल अकाउंट मे प्राप्तकर्ता Debit होता है। Cash खाता क्रेडिट किया गया क्योंकि रियल अकाउंट मे जाने वाली संपत्ति को Credit करते हैं।

2. बालाजी स्टोर से 35000 रुपये का उधार माल खरीदा।

Debit : Purchase A/c – 35000

Credit : Balaji’s Store – 35000

नोट – यहाँ पर्चेज खाता डेबिट किया गया है, रूल के अनुसार वास्तविक खातों मे आने वाली संपत्ति Debit होती है। यहाँ बालाजी स्टोर देनदार है, रूल के अनुसार पर्सनल अकाउंट मे देनदार (Supplier) को Credit करते हैं।

3. दुकान का किराया 3000 रु अदा किया।

Debit : Shop Rent A/c – 3000

Credit : Cash A/c – 3000

नोट – यहाँ किराया खर्चा है, रूल के अनुसार नाममात्र खातों मे खर्चे Debit होते है। Cash क्रेडिट किया गया, क्योंकि रियल अकाउंट मे जाने वाली संपत्ति को Credit करते हैं।

4. प्रवीण से 2000 रु नगद ब्याज प्राप्त किया।

Debit : Cash A/c – 2000

Credit : Interest Received A/c – 2000

नोट – यहाँ Cash डेबिट है, रूल के अनुसार रियल अकाउंट मे आने वाली संपत्ति को डेबिट करते हैं। ब्याज आय के रूप मे प्राप्त हो रहा है इसलिए क्रेडिट है, रूल के अनुसार Income को क्रेडिट करते हैं।

5. संजीव को 10000 रु का उधार माल बेचा।

Debit : Sanjeev – 3500

Credit : Sales A/c – 3500

नोट – यहाँ संजीव को डेबिट किया गया, क्योंकि पर्सनल अकाउंट मे प्राप्तकर्ता को Debit करते हैं। विक्रय खाता (Sales A/c) क्रेडिट किया गया, क्योंकि रियल अकाउंट मे जाने वाली संपत्ति को Credit करते हैं।

निष्कर्ष

इस ब्लॉग पोस्ट में, हमने Golden Rule of Accounts की बुनियादी बातों को समझाया है, जिसमें डेबिट और क्रेडिट के नियम, विभिन्न प्रकार के खातों और व्यावहारिक अनुप्रयोग शामिल हैं। हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपको अपनी वित्तीय समझ को बेहतर बनाने और अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगी। अगर आपके पास कोई प्रश्न है तो कमेन्ट बॉक्स मे बेझिझक पूछें। यह पोस्ट अगर आपके लिए इंफोरमेटिव रही हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें।

इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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