कंप्यूटर फंडामेंटल (Computer Fundamental) के अंतर्गत कंप्यूटर की बुनियादी जानकारी (Basic Knowledge) शामिल होती हैं, यह जानकारी कंप्यूटर ऑपरेट करने और उपयोग करने के साथ हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और इंटरनेट के साथ काम करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। आइए जानते है Computer Fundamental से संबंधित इस लेख मे हम किन विषयों पर चर्चा करेंगे।
Topics in Computer Fundamental
- Computer Components :- इसमें प्रोसेसर, मेमोरी, स्टोरेज डिवाइस, इनपुट डिवाइस (जैसे कीबोर्ड और माउस), आउटपुट डिवाइस (जैसे मॉनिटर और प्रिंटर), और नेटवर्क कार्ड जैसे विभिन्न हार्डवेयर घटकों को समझना शामिल है।
- History & Generations :- इसमे कंप्यूटर का इतिहास और कंप्यूटर पीढ़ियों के बारे मे जानकारी मिलती है।
- Operating System :- यह कंप्यूटर को संचालित करने के लिए आवश्यक सॉफ्टवेयर है, जैसे विंडोज़, मैकओएस, या लिनक्स आदि।
- Hardware & Software :- इसमें एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (जैसे वर्ड प्रोसेसर, वेब ब्राउज़र, इमेज एडिटिंग सॉफ्टवेयर) और सिस्टम सॉफ्टवेयर शामिल हैं जो कंप्यूटर के कार्यों को नियंत्रित करते हैं।
- Internet & Network :- कंप्यूटर को एक दूसरे से कनेक्ट करने और डेटा साझा करने की बुनियादी बातें, जैसे कि वाई-फाई और इथरनेट आदि।
- Computer Applications :- विभिन्न कार्यों के लिए कंप्यूटर का उपयोग करना, जैसे कि ईमेल भेजना, दस्तावेज़ बनाना, वेब ब्राउज़ करना, और गेम खेलना आदि।
What is Computer?
कंप्यूटर हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर द्वारा निर्मित एक इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग मशीन है, जो अंकगणितीय गणनाओं के साथ-साथ मानवीय समस्याओं को तेजी से हल करने मे सक्षम है। यह उपयोगकर्ता (User) से रॉ डेटा (Row Data) इनपुट के रूप में लेता है और उसे प्रोसेस करने के पश्चात आउटपुट प्रदान करता है। यह डिवाइस लाखों निर्देशों को एक माइक्रोसेकंड (10-6) से भी कम समय मे प्रोसेस कर सकता है। कंप्यूटर सभी कार्यों को पूर्ण करने के लिए विभिन्न डिवाइसों का उपयोग करता है; जैसे – कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर, स्पीकर, यूपीएस, प्रिंटर आदि।

Full Form of Computer
Common Operating Machine Purposely Used for Technological and Educational Research
| Characters | Meaning | Hindi Meaning |
| C | Common | सामान्य |
| O | Operating | परिचालन |
| M | Machine | यंत्र |
| P | Purposely | उद्देश्य |
| U | Used for | प्रयोग |
| T | Technological | तकनीकी |
| E | Educational | शिक्षा |
| R | Research | अनुसंधान |
Main Parts of Computer
वैसे तो कंप्यूटर में कई डिवाइसेस इस्तेमाल मे लाई जाती है जिन्हे हम आगे जानेंगे, लेकिन यहाँ कंप्यूटर मे इस्तेमाल होने वाली कुछ मुख्य डिवाइसें निम्न प्रकार हैं –
- CPU – यह मुख्य प्रोसेसिंग मशीन है, इसके द्वारा ही कंप्युटर मे सभी कार्य प्रोसेस किए जाते है। इसमे ही कंप्यूटर का मुख्य सर्किट बोर्ड लगा होता है जिससे अन्य सभी डिवाइसे जुड़ी होती हैं।
- Monitor – यह एक टीवी के समान दिखने वाली डिवाइस है, इसमे एक स्क्रीन होती है जिसमे प्रोसेस हो रहे कार्य को देखा जा सकता है।
- Keyboard – यह एक टायपिंग डिवाइस है, इसमे कई बटने होती हैं, जैसे – A to Z, 0 to 9 इत्यादि। इनकी मदद से कंप्यूटर में कुछ भी टाइप किया जा सकता है।
- Mouse – यह एक पोइंटिंग डिवाइस है, इसका उपयोग कंप्यूटर को ऑपरैट करने तथा डिजाइन बनाने के लिए किया जाता है।
- Speaker – यह डिवाइस कंप्यूटर से ध्वनि सुनने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
- UPS :- यह Uninterruptible Power Supply है जो कंप्युटर को बाधा रहित बिजली आपूर्ति करता है।
- Printer – प्रिंटर का इस्तेमाल कागज पर डाटा प्रिंटिंग के लिए किया जाता है।
- Scanner – स्कैनर का इस्तेमाल डाटा स्कैनिंग के लिए किया जाता है, जैसे – फोटोकॉपी।
Characteristics of Computer
कंप्यूटर के विभिन्न गुण होते हैं जो इसे बेहद खास बनाते है, इसमे से कुछ के बारे मे नीचे बताया गया है।
- Speed (गति) :- कंप्यूटर बहुत ही फास्ट डिजिटल डाटा प्रोसेसिंग मशीन है, यह माइक्रो (10-6) या नैनो (10-9) सेकेंड में लाखों निर्देश प्रोसेस कर सकता है।
- Accuracy (शुद्धता) :- कंप्यूटर सभी सरल और जटिल गणनाएं 100% सटीकता के साथ कर प्रोसेस करता है।
- Diligence (लगन) :- कंप्यूटर एक ही स्थिरता और सटीकता के साथ कई कार्य या गणना कर सकता है, यह थकान या एकाग्रता की कमी महसूस नहीं करता है।
- Intelligence (इंटेलिजेंस) :- कंप्यूटर मैन्युअल हस्तक्षेप के बिना क्रियाओं को स्वचालित रूप से निष्पादित कर सकता है।
- Reliability (विश्वसनीयता) :- कंप्यूटर बहुत विश्वसनीय होता है क्योंकि यह डेटा के समान सेट के लिए लगातार समान परिणाम देता है।
- Versatility (बहुमुखी प्रतिभा) :- कंप्यूटर को लगभग हर क्षेत्र में इस्तेमाल किया जा सकता है, यह पूर्ण सटीकता के साथ एक से अधिक कार्यों को एक साथ कर सकता है।
- Storage Capacity (स्टोरेज क्षमता) :- कंप्यूटर मेमोरी में बड़ी मात्रा में डेटा स्टोर किया जा सकता है, तथा उसे कभी भी पुनः प्राप्त भी किया जा सकता है।
History of Computer
कंप्यूटर का इतिहास कई सदियों पहले शुरू हुआ था जब मनुष्य ने गणना करने के लिए सबसे पहली कैलकुलेटिंग डिवाइस का आविष्कार किया था, इसका नाम अबैकस था। तभी से कंप्यूटर का विचार सरल कंप्यूटिंग मशीन जैसे- ABACUS, PASCALENE, NAPIOR BONE आदि से शुरू हुआ। यहाँ कंप्यूटर के इतिहास में कुछ प्राचीन गणना उपकरणों के बारे मे बताया गया है, जो इस प्रकार हैं-
- ABACUS – माना जाता है यह चीनी लोगों द्वारा विकसित, लकड़ी के फ्रेम, धातु की छड़ों और लकड़ी के मोतियों से बना होता है। मोतियों को खिसकाकर संख्याओं को गिनने, जोड़ने और घटाने के लिए किया जाता है।
- Napier Bones – जॉन नेपियर द्वारा 1617 में विकसित, इस उपकरण में हड्डी की छड़ों पर नंबर छपे होते थे जिनके द्वारा गुणा और वर्गमूल निकाला जा सकता था।
- Pascaline – ब्लेज़ पास्कल (फ़्रांसीसी वैज्ञानिक) द्वारा 1642 मे विकसित, यह उपकरण मूल्यों को जोड़ और घटा सकता था। ब्लेज़ पास्कल को मैकेनिकल कैलकुलेटर का जनक भी कहा जाता है।
- Leibniz Calculator – गॉट फ्रीड लिबनिज़ (जर्मन गणितज्ञ) ने 1673 में Pascaline को संशोधित किया, और लीबनिज़ कैलकुलेटर नाम दिया जो विभिन्न गणना आधारित गुणा और भाग भी कर सकता था।
- Slide Ruler – विलियम ओउट्रेड द्वारा 17वीं शताब्दी मे विकसित, मुख्य रूप से गुणा और भाग करने के साथ वर्गमूल, जोड़ और घटाव जैसी गणनाएं भी कर सकता था।
- Difference Engine – चार्ल्स बैबेज द्वारा 1820 में विकसित, यह एक स्वचालित यांत्रिक कैलकुलेटर था जिसे बहुपद कार्यों (जोड़, घटाव, गुना, भाग) को सारणीबद्ध करने के लिए डिज़ाइन किया गया। इस मशीन में दशमलव संख्या प्रणाली का भी उपयोग किया गया था।
- Analytical Engine – चार्ल्स बैबेज द्वारा 1837 में विकसित, सबसे आधुनिक यांत्रिक कंप्युटर था जो सभी प्रकार की सामान्य व जटिल गणनाओं को हल करने मे सक्षम था। इस मशीन को मुख्य चार घटकों से मिलकर बनाया गया था मिल, स्टोर, रीडर और प्रिंटर। ये सभी घटक आज आधुनिक कंप्यूटर के CPU, Memory, Input, Output के रूप हैं। चार्ल्स बैबेज को आधुनिक कंप्यूटर का जनक भी कहते है।
- Mechanical Calculator – मैकेनिकल कंप्यूटर आकार मे छोटा, लीवर, गियर, और खाँचेदार पहियों से बना होता है। इसका उपयोग गणना संबंधी कार्य करने के लिए किया जाता था। 1960 के दशक तक मैकेनिकल कंप्यूटर का उपयोग जारी रखा गया बाद मे इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर आने से ये इस्तेमाल होना बंद हो गए।
- Electronic Calculator – पहला इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर 1960 के दशक की शुरुआत में बनाया गया, पॉकेट-आकार वाले कैलकुलेटर 1970 के दशक के आसपास विकसित हुए, जब इंटेल कंपनी ने 4004 नाम से पहला माइक्रोप्रोसेसर बनाया जो जापानी कैलकुलेटर कंपनी Busicom द्वारा निर्मित कैलकुलेटर मे इस्तेमाल हुआ।
- Modern Computer – आधुनिक कंप्यूटर अड्वान्स के साथ स्मार्ट भी है, Laptop, Tablet, Smartphones सभी मॉडर्न कंप्यूटर के उदाहरण हैं। ये कंप्यूटर कैलकुलेशन साथ-साथ मानवीय समस्याओं को भी हल करने मे सक्षम है।
Computer Generations
कंप्युटर जनरेशन का अध्ययन एक महत्वपूर्ण तकनीकी और ऐतिहासिक विषय है, जो हमें विभिन्न कंप्यूटर पीढ़ियों के विकास और प्रौद्योगिकी में हुए परिवर्तनों को समझने में मदद करता है। आधुनिक कंप्यूटर को अभी तक पाँच पीढ़ियों मे विभाजित किया गया है, जो निम्न प्रकार है –
First Generation
- समय अवधि : 1940 – 1956
- प्रमुख प्रौद्योगिकी : वैक्यूम ट्यूब (Vacuum Tube)
- प्रोग्रामिंग भाषा : मशीनी भाषा
- मेमोरी : मेग्नेटिक टेप एवं मेग्नेटिक ड्रम्स
- इनपुट/आउट्पुट इकाई : पंच कार्ड
- स्पीड : बहुत कम
- आकार : बहुत बड़ा
- उदाहरण : ENIAC, UNIVAC, EDSAC, मार्क 1
Second Generation
- समय अवधि : 1956 – 1963
- प्रमुख प्रौद्योगिकी : ट्रांसिस्टर्स (Transistor)
- प्रोग्रामिंग भाषा : मशीनी व असेंबली भाषा
- मेमोरी : मेग्नेटिक कोर एवं मेग्नेटिक डिस्क
- इनपुट/आउट्पुट इकाई : मेग्नेटिक टेप एवं पंच कार्ड
- स्पीड : प्रथम पीढ़ी की तुलना मे तेज
- आकार : प्रथम पीढ़ी की तुलना मे छोटा
- उदाहरण: IBM 1401, CDC 1604
Third Generation
- समय अवधि : 1963 – 1971
- प्रमुख प्रौद्योगिकी : इंटीग्रेटेड सर्किट (IC)
- प्रोग्रामिंग भाषा : हाई लेवल भाषा
- मेमोरी : लार्ज मेग्नेटिक कोर/डिस्क
- इनपुट/आउट्पुट : मेग्नेटिक टेप, मानीटर, कीबोर्ड, प्रिंटर
- स्पीड : दूसरी पीढ़ी से तेज
- आकार : दूसरी पीढ़ी से छोटा
- उदाहरण: IBM 360, DEC PDP-11
Fourth Generation
- समय अवधि : 1971 – वर्तमान
- प्रमुख प्रौद्योगिकी : LSIC & VLSIC (माइक्रोप्रोसेसर्स)
- प्रोग्रामिंग भाषा : हाई लेवल भाषा
- मेमोरी : सेमी कंडक्टर मेमोरी (RAM, ROM)
- इनपुट/आउट्पुट : मानीटर, कीबोर्ड, प्रिंटर, स्कैनर, पोइंटिंग डिवाइस
- स्पीड : तीसरी पीढ़ी से तेज
- आकार : तीसरी पीढ़ी से छोटा
- उदाहरण: IBM PC, Apple Macintosh, Altair 8800
Fifth Generation
- समय अवधि : वर्तमान – भविष्य
- प्रमुख प्रौद्योगिकी : ULSIC, Artificial intelligence (AI), Quantum Computing, Nanotechnology.
- प्रोग्रामिंग भाषा : हाई लेवल भाषा, Machine Learning
- मेमोरी : हाई कपेसिटी सेमी कंडक्टर मेमोरी (RAM, ROM)
- इनपुट/आउट्पुट : मानीटर, कीबोर्ड, प्रिंटर, माउस, टच स्क्रीन, टच पैड
- स्पीड : बहुत तेज
- आकार : बहुत छोटा
- उदाहरण : स्मार्टफोन, टैबलेट, लैपटॉप, रोबॉट्स
Types of Computer
कंप्यूटर मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं जो निम्न प्रकार हैं –
Analog Computer
एनालॉग कंप्यूटर विशेष प्रकार के कंप्यूटर होते है। ये ताप (Temperature), दाब (Pressure), गति (Speed) या विद्युत प्रवाह (Electric Flow) जैसे भौतिक मानो (Physical Values) के आधार पर कार्य करते हैं। उदाहरण – Speedo Meter, Therma Meter, Pressure Meter आदि।
Digital Computer
डिजिटल कंप्यूटर अंकों में सभी डेटा का प्रोसेसिंग करता है। इन कंप्युटरों में डिस्प्ले स्क्रीन होती है जिसके जरिए प्रोसेस हो रहे कार्यों को देखा भी जा सकता है। डाटा को इनपुट/आउटपुट करने के लिए इसमे इनपुट/आउटपुट यूनिट का उपयोग होता है। इनके प्रकार निम्नवत हैं –
- Micro Computer – आकार मे छोटे, स्पीड मे तेज, पर्सनल कार्यों के लिए डिजाइन किए गए। उदाहरण – Smartphone, Laptop, Notebook, Desktop आदि।
- Mini Computer – ये कंप्युटर माइक्रो कंप्युटर से बड़े, स्पीड मे तेज और महगें होते हैं, ये प्रायः टाइम शेयरिंग और डिस्ट्रिब्यूटेड डाटा प्रोसेसिंग मे उपयोग किए जाते हैं। उदाहरण – Bank Servers.
- Mainframe Computer – मेनफ्रेम कंप्यूटर बड़े संगठनों, बैंकों, सरकारी विभागों और व्यावसायिक संस्थाओं में उपयोग के लिए बनाए गए हैं। ये उच्च प्रदर्शन और बड़ी स्केल पर डेटा प्रोसेसिंग के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- Super Computer – सुपर कंप्यूटर दुनिया के सबसे तेज और शक्तिशाली कंप्यूटर होते हैं। इनका उपयोग नई खोज, वैज्ञानिक अनुसंधान, उपग्रह प्रक्षेपण, मॉडलिंग, सिमुलेशन, मौसम पूर्वानुमान और बड़े डेटा सेट्स के विश्लेषण के लिए उपयोग किया जाता है। भारतीय परम (PARAM) और IBM – Blue Gene सुपर कंप्यूटर के उदाहरण हैं।
Hybrid Computer
हाइब्रिड कंप्यूटर (मिश्रित कंप्यूटर) एनालॉग और डिजिटल दोनों का समायोजन होता है। जैसे- पेट्रोल पंप मशीनें, एटीएम मशीनें, एरोप्लेन मे इस्तेमाल होने वाले कंप्युटर आदि।
CPU (Central Processing Unit)
CPU कंप्यूटर या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का प्रमुख घटक (Component) होता है जो सभी निर्देशों और गणनाओं को प्रोसेस करता है। इसे अक्सर कंप्यूटर का दिमाग भी कहा जाता है, क्योंकि यह विभिन्न सॉफ़्टवेयर प्रोग्राम्स और ऑपरेटिंग सिस्टम्स द्वारा प्राप्त आदेशों को निष्पादित करता है।

यूजर द्वारा इनपुट किए गए डाटा को प्रोसेस करने के लिए CPU निम्न चरणों का पालन करता है।
Input>Store>Process>Output
- Input – इनपुट यूनिट के माध्यम से डेटा और निर्देशों को प्रोसेसिंग यूनिट मे भेजना।
- Store – मेमोरी यूनिट के माध्यम से इनपुट डाटा को स्टोर करना।
- Process – प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) द्वारा इनपुट किए डाटा को प्रोसेस करना।
- Output – आउटपुट यूनिट के द्वारा प्रोसेस्ड डेटा का आउटपुट करना।
CPU के तीन भाग होते हैं जो इस प्रकार हैं –
- Arithmetic Logic Unit (ALU) – अंकगणितीय और तार्किक गणनाओं को हल करता है।
- Control Unit (CU) – कंप्यूटर के अन्य हिस्सों को निर्देशित करता है और आदेशों को निष्पादित करता है।
- Memory Unit (MU) – कैशै के रूप मे इस्तेमाल की जाने वाली रजिस्टर मेमोरी है, जो डेटा और निर्देशों को अस्थायी रूप से स्टोर करती हैं।
Computer Devices
विभिन्न प्रकार की डिवाइसेस का इस्तेमाल कंप्यूटर मे डाटा (Data) को इनपुट व आउटपुट करने के लिए किया जाता हैं, कंप्यूटर ने उपयोग होने वाली डिवाइसेस को दो श्रेणियों मे विभाजित किया जाता है-
Input Devices
इनपुट डिवाइसेस के द्वारा कंप्युटर सिस्टम को निर्देश व डाटा इनपुट किए जाते है, ये डिवाइसेस निम्न प्रकार है।
- Keyboard – इस डिवाइस के द्वारा कंप्यूटर मे डाटा टाइप (Type) किया जाता है, इसके अलावा विभिन्न शॉर्टकट और कुंजियों की मदद से कंप्यूटर को ऑपरैट भी किया जाता है।
- Mouse – यह एक पोइंटिंग डिवाइस है, इसका इस्तेमाल ड्रॉइंग (Drawing) बनाने मे तथा कंप्यूटर को तेजी से ऑपरैट करने के लिए किया जाता है।
- Trackball – यह माउस के समान ही डिवाइस है, इसमे कुछ अतितिक्त फंगक्शन व बटन होती है जो इसे माउस से अलग बनाते हैं। इसमे एक छोटी गेंद फिट होती है जिसे घुमाकर पॉइन्टर को निर्देशित किया जाता है, इस वजह से इसे बिना खिसकाये एक जगह स्थिर रखकर कार्य किए जाते है।
- Joystick – इस डिवाइस का इस्तेमाल डिजाइन बनाने मे तथा गेम खेलने मे किया जाता है।
- Touch Pad – यह लैपटॉप मे इस्तेमाल होने वाली डिवाइस है, जो माउस की जगह इस्तेमाल होती है।
- Scanner – इस डिवाइस की मदद से किसी कागज पर प्रिन्ट सामग्री को डिजिटल रूप मे स्कैन कर सकते है। इनके विभिन्न प्रकार हैं – BCR, MICR, OMR, OCR आदि।
- Fingerprint Scanner – यह एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो किसी व्यक्ति की उंगली के निशान की पहचान करने के लिए उसका डिजिटल छवि लेता है, जिसका उपयोग सुरक्षा और व्यक्ति की पहचान के लिए किया जाता है।
Output Device
आउटपुट डिवाइसेस के द्वारा डाटा का आउटपुट प्राप्त करते हैं, ये डिवाइसेस निम्न प्रकार है।
- Monitor – यह टीवी के समान डिवाइस है, जो सिस्टम पर प्रोसेस किए जा रहे कार्य को देखने के लिए इस्तेमाल होता है।
- Printer – इस डिवाइस के द्वारा किसी डॉक्यूमेंट या डाटा का प्रिन्ट निकाल सकते हैं। प्रिंटर इम्पैक्ट (Impact) और नॉन-इम्पैक्ट (Non-Impact) दो प्रकार के होते हैं। इम्पैक्ट प्रिंटर पुराने प्रिंटर हैं; जैसे – Typewriter, Drum Printer, Chain Printer आदि। नान-इम्पैक्ट प्रिंटर मॉडर्न प्रिंटर हैं; जैसे – Laser Printer, Inkjet Printer, Thermal Printer आदि।
- Speaker – कंप्यूटर से ध्वनि सुनने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- Projector – इस डिवाइस का इस्तेमाल किसी प्रस्तुति को बड़ी स्क्रीन पर दिखाने के लिए किया जाता है।
- Plotter – प्लाटर एक प्रकार का प्रिंटर होता है, जो बड़ी साइज़ की इमेज प्रिन्ट करता है, जैसे- बैनर, होर्डिंग आदि।
Computer Memory
कंप्यूटर में मेमोरी का उपयोग डाटा स्टोर करने के लिए किया जाता है। बिना मेमोरी के कंप्यूटर मे कोई प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर स्टोर नहीं कर सकते, जिस वजह से कंप्यूटर पर कोई कार्य नहीं किया जा सकता। कंप्यूटर में दो प्रकार की मेमोरी पाई जाती है जो निम्न प्रकार हैं।
Primary Memory
प्राइमरी मेमोरी का उपयोग मुख्य रूप से Data Processing और Program Operation मे किया जाता है। रियल टाइम मे प्रोसेस हो रहे कंप्यूटर पर सभी कार्य प्राइमरी मेमोरी मे ही स्टोर रहते हैं, इसलिए इसे Main Memory भी कहते हैं। प्राइमरी मेमोरी दो प्रकार हैं;
RAM (Random Access Memory)
रैम एक वोलाटाइल मेमोरी (Volatile Memory) है, इसका मतलब है यह कंप्यूटर के चालू रहने तक ही डाटा स्टोर रख सकती है, कंप्यूटर के बंद होते ही इसका सम्पूर्ण डाटा डिलीट हो जाता है। रैम का इस्तेमाल मुख्य रूप से Real Time Processing मे किया जाता है। रैम मेमोरी के भी दो प्रकार हैं; Static RAM और Dynamic RAM, इनमे अंतर निम्नलिखित हैं।
- Static RAM एक सबसे तेज मेमोरी है जो CPU के लिए कैशै मेमोरी के रूप मे कार्य करती है, जबकि Dynamic RAM का इस्तेमाल प्रोग्राम लोडिंग और ऑपरेशन मे किया जाता है।
- Static RAM का साइज़ फिक्स रहता है, जबकि Dynamic RAM का साइज़ घटाया-बढ़ाया जा सकता है।
- Static RAM के उदाहरण है – Cache Memory (L1, L2, L3), Dynamic RAM के उदाहरण हैं – DDR RAM, SD RAM आदि।
ROM (Read Only Memory)
यह एक नॉन-वोलाटाइल मेमोरी (Non-Volatile Memory) है, जिस वजह से कंप्यूटर के बंद रहने पर भी इस मेमोरी का डाटा डिलीट नहीं होता है। इस मेमोरी मे स्टोर किए डाटा को केवल रीड किया जा सकता है, यूजर द्वारा मिटाया नहीं जा सकता। इस मेमोरी मे कंप्यूटर के लिए जरूरी फर्मवेयर प्रोग्राम लोड रहते हैं जो कंप्यूटर को बूट (Boot) करने मे हेल्प करते है। इस मेमोरी के उदाहरण है – PROM, EPROM, EEPROM आदि।
Secondary Memory
सेकन्डेरी मेमोरी का उपयोग मुख्य रूप से डाटा स्टोर करने के लिए किया जाता है। इस मेमोरी मे स्टोर किया डाटा परमानेंट रूप से स्टोर रहता है, कंप्यूटर के बंद/चालू होने से डाटा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस मेमोरी का साइज़ भी प्राइमेरी मेमोरी की तुलना मे कई गुना अधिक होता है, जिस वजह से इसमे बड़ी मात्रा मे डाटा स्टोर कर सकते है। इनके उदाहरण है –
- Hard Disk Drive (HDD) – हार्ड डिस्क एक मेग्नेटिक स्टोरेज डिवाइस है, जो डेटा को स्थायी रूप से स्टोर करने के लिए प्रयोग मे लाई जाती है। कंप्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम, सॉफ्टवेयर, फ़ाइलें और अन्य डेटा को स्टोर करने के लिए हार्ड डिस्क ड्राइव का इस्तेमाल किया जाता है। एक हार्डडिस्क मे 1000 GB या इससे भी अधिक डाटा स्टोर किया जा सकता है।
- Floppy Disk Drive (FDD) – फ्लॉपी डिस्क का उपयोग 20वीं सदी के अंत में कंप्यूटरों में डेटा को स्टोर और स्थानांतरित करने के लिए किया जाता था। यह एक पतली, लचीली डिस्क होती है जो एक चौकोर प्लास्टिक के कवर में बंद होती है। इसे फ्लॉपी डिस्क या डिस्केट भी कहा जाता है। यह डिस्क 1.44MB डाटा स्टोर कर सकती है।
- Solid State Drive (SSD) – यह उच्च क्षमता वाली लेटेस्ट डाटा स्टोरेज डिवाइस है जो हार्ड डिस्क से तेज और उन्नत है। आजकल इसे हार्ड डिस्क की जगह इस्तेमाल किया जाता है। यह डाटा स्टोर करने के लिए IC chips का इस्तेमाल करती है, जिस वजह से इसकी पावर खपत कम तथा रीड/राइट स्पीड हार्ड डिस्क की अपेक्षा बहुत तेज होती है।
- CD/DVD – यह ऑप्टिकल स्टोरेज डिवाइस है, इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से सॉफ्टवेयर व फाइल को स्टोर करने के लिए किया जाता है। इसे CD/DVD ड्राइव की मदद से रीड/राइट किया जा सकता है। किसी भी कंप्यूटर पर सॉफ्टवेयर इंस्टालेशन व डाटा बैकअप के लिए CD/DVD का उपयोग एक अच्छा विकल्प है। CD में 700 MB तथा DVD में 4.7GB डाटा स्टोर किया जा सकता है।
- Pen Drive – यह एक रिमूवबल स्टोरेज डिवाइस है, जिसे किसी भी कंप्यूटर पर USB पोर्ट की मदद से कनेक्ट किया जाता है। इसका उपयोग मुख्य रूप से डाटा बैकअप व ट्रैन्स्फर करने के लिए किया जाता है। यह CD/DVD का उन्नत विकल्प है, आजकल एक पेनड्राइव 1TB से भी अधिक डाटा स्टोर कर सकती है।
Memory Units
| Units | Equal To |
| 1 Bit | 0 or 1 |
| 4 Bit | 1 Nibble |
| 8 Bit | 1 Byte |
| 1024 Byte | 1 KB (Kilo byte) |
| 1024 Kilo byte | 1 MB (Mega byte) |
| 1024 Mega byte | 1 GB (Giga byte) |
| 1024 Giga byte | 1 TB (Tera byte) |
| 1024 Tera byte | 1 PB (Peta byte) |
| 1024 Peta byte | 1 EB (Exabyte) |
| 1024 Exabyte | 1 ZB (Zetta byte) |
| 1024 Zetta byte | 1 YB (Yetta byte) |
Hardware and Software
हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों ही कंप्युटर के महत्वपूर्ण घटक है, दोनों से मिलकर ही एक कंप्यूटर का निर्माण होता है। बिना हार्डवेयर के सॉफ्टवेयर और बिना सॉफ्टवेयर के हार्डवेयर यूजलेस है। आईए इनके बारे मे विस्तार से जानते हैं।
Hardware
हार्डवेयर कंप्यूटर के वे भाग होते है जिन्हे छुआ, देखा व रिपेयर किया जा सकता है, सभी हार्डवेयर कहलाते हैं। जैसे – Cable, Circuit Board, Computer body, Keyboard, Mouse, Screen आदि।
Software
सॉफ्टवेयर निर्देशों व सूचनाओं से बने कंप्यूटर प्रोग्राम्स होते हैं। सॉफ्टवेयर के द्वारा ही यूजर कंप्यूटर पर कार्य कर सकता है, कंप्यूटर को कमांड दे सकता है या कंप्यूटर ऑपरैट कर सकता है। सॉफ्टवेयर के निम्न प्रकार होते हैं –
System Software
ये सॉफ्टवेयर विशेष रूप से सिस्टम के लिए डिजाइन किए जाते है, क्योंकि ये मैनेजमेंट संबंधी कार्य करते हैं, जैसे – यूजर मैनेजमेंट, डिवाइस मैनेजमेंट, मेमोरी मैनेजमेंट, सिक्युरिटी मैनेजमेंट आदि। सबसे पहले कंप्युटर सिस्टम पर यही सॉफ्टवेयर लोड किया जाता है, जिसके बाद कंप्युटर ऑपरेशन के लिए तैयार हो पाता है। एक बार सिस्टम सॉफ्टवेयर फैल हो जाने पर कंप्यूटर के सभी कार्य रुक जाते हैं, जब तक इसे रि-इंस्टॉल या ठीक न किया जाए। सिस्टम सॉफ्टवेयर को ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) भी कहते है। इनके उदाहरण हैं – DOS, Windows, Linux, Mac आदि।
Application Software
इस प्रकार के सॉफ्टवेयर किसी विशेष कार्य के लिए डिजाइन किए जाते है। यूजर अपनी आवश्यकता अनुसार इन सॉफ्टवेयर को कंप्यूटर पर अलग से इंस्टॉल करता है। इनके उदाहरण हैं – Chrome Browser, Photoshop, MS Office, WhatsApp, Skype आदि।
Utility Software
इस प्रकार के सॉफ्टवेयर कंप्युटर के विभिन्न ऑपरेशन व अंदरूनी कार्यों को मैनेज व कंट्रोल करने के लिए डिजाइन किए जाते हैं, जैसे – Antivirus, Windows Security, Windows Defender, Firewallआदि।
Device Driver
इस प्रकार के सॉफ्टवेयर किसी विशेष डिवाइस के लिए इंस्टॉल किए जाते हैं, जो कंप्युटर मे अलग से कनेक्ट की गई हो। डिवाइस ड्राइवर मे उस डिवाइस की कार्यप्रणाली शामिल होती है, जिसे कंप्युटर आसानी से समझ सकता है तथा एक नई डिवाइस का कंप्यूटर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इनके उदाहरण हैं – Printer Driver, Ethernet Driver, Bluetooth Driver, Wifi Driver आदि।
Programming Languages
प्रोग्रामिंग भाषा का उपयोग कंप्यूटर व मोबाईल सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में किया जाता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर, अप्लीकेशन सॉफ्टवेयर या डिवाइस ड्राइवर्स सभी प्रोग्रामिंग भाषाओं के द्वारा ही विकसित किए जाते है। प्रोग्रामिंग भाषाएं दो प्रकार की होती है – Low Level Language और High Level Language.
Low Level Language
लो लेवल लैंग्वेज (LLL) की मशीन फ़्रेंडली भाषा होती है, इसलिए इनकी संरचना जटिल होती है। इस भाषा मे प्रोग्राम कोड लिखने के लिए प्रोग्रामर को CPU और हार्डवेयर का गहरा ज्ञान होना आवश्यक है। ये भाषाएं निम्न प्रकार हैं-
- Binary Language – इसे मशीनी भाषा भी कहते हैं, यह ऐसी प्रोग्रामिंग भाषा है जो 0,1 के संयोजन से लिखी जाती है। यहाँ 0 का मतलब OFF और 1 का मतलब ON होता है। इस भाषा मे लिखे प्रोग्राम्स तेजी से एक्सक्यूट होते हैं, क्योंकि यह भाषा प्रोसेसर से साथ सीधे संवाद करती है। यह भाषा प्रोग्रामर के लिए कठिन हो सकती है, क्योंकि इस भाषा मे प्रोग्राम कोड लिखना और डिबग करना अन्य भाषाओ की तुलना मे कठिन होता है।
- Assembly Language – यह एक निम्न स्तरीय भाषा है जो मशीन भाषा के समान है, लेकिन यह मानव-पठनीय प्रारूप में लिखी जाती है। इसमें सिंबल और शॉर्टकट का उपयोग किया जाता है। जैसे – SUB, MUL, ADD, DIV आदि। इस भाषा मे लिखे प्रोग्राम को एक्सक्यूट करने के लिए असेम्बलर (Assembler) की आवश्यकता होती है, जो प्रोग्राम कोड को मशीनी भाषा मे बदल देता है।
- Microcode – यह एक निम्न स्तरीय भाषा है जो कंप्यूटर के प्रोसेसर के अंदरूनी कार्यों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग की जाती है।
High Level Language
हाई लेवल लैंग्वेज प्रोग्रामर फ़्रेंडली होती है, यह भाषाएं मानव पठनीय रूप मे लिखी जाती हैं इसलिए इन भाषाओं मे प्रोग्राम लिखना और डिबग करना लो लेवल लैंग्वेज की तुलना मे सरल होता है। हाई लेवल लैंग्वेज मे लिखे प्रोग्राम को एक्सक्यूट कराने के लिए Compiler, Interpreter जैसे लैंग्वेज ट्रांसलेटर की आवश्यकता होती है, क्योंकि कंप्युटर सीधे हाई लेवल भाषा को नहीं समझ सकता। लैंग्वेज ट्रान्सलेटर हाईलेवल भाषा को मशीनी भाषा मे बदल देता है। प्रोग्रामर को इस भाषा मे प्रोग्राम कोड लिखने के लिए हार्डवेयर का गहरा ज्ञान होने की आवश्यकता भी नहीं है। इन भाषाओ के उदाहरण हैं – C, C++, Java, Python, PHP , C# आदि।
Difference between High Level and Low Level Language
| Low Level Language | High Level Language |
| यह एक मशीन फ्रेंडली भाषा है। | यह प्रोग्रामर फ्रेंडली भाषा है। |
| निम्न स्तरीय भाषा कम मेमोरी इस्तेमाल करती है। | उच्च स्तरीय भाषा अधिक मेमोरी इस्तेमाल करती है। |
| इसे समझना कठिन है। | इसे समझना आसान है। |
| इसे डीबग करना जटिल है। | इसे डीबग करना आसान है। |
| यह पोर्टेबल नहीं है। | यह पोर्टेबल है। |
| यह मशीन पर निर्भर है। इसमे लिखा प्रोग्राम उसी मशीन पर रन होता है। | यह मशीन पर निर्भर नहीं है, इसमे लिखा प्रोग्राम किसी भी मशीन पर रन हो सकता है। |
| उदाहरण – Binary, Assembly | उदारण – BASIC, C, C++, JAVA, .NET, PHP, Python |
Language Translator
लैंग्वेज ट्रांसलटोर जिसे भाषा अनुवादक कहते हैं। इसका उपयोग हाई लेवल लैंग्वेज मे लिखे प्रोग्राम कोड को मशीन कोड मे परिवर्तित करने के लिए किया जाता हैं, ये निम्न प्रकार हैं –
- Assembler – असेंबली भाषा मे लिखे प्रोग्राम कोड को मशीनी भाषा मे परिवर्तित करता है।
- Compiler – हाईलेवल भाषा मे लिखे प्रोग्राम कोड को मशीनी भाषा मे ट्रान्सलेट करता है, यह तेज है तथा सम्पूर्ण कोड को एक ही बार मे ट्रान्सलेट कर देता है।
- Interpreter – हाईलेवल भाषा मे लिखे प्रोग्राम कोड को मशीनी भाषा मे लाइन बाई लाइन ट्रान्सलेट करता है, यह कम्पाइलर से धीमा है।
Important Terms of Computer
Power supply (SMPS) – यह कंप्यूटर के विभिन्न कम्पोनेन्ट को पावर प्रदान करता है, यह AC Voltage लेता है तथा DC voltage आउटपुट करता है। इसकी फुल फॉर्म Switch Mode Power Supply है।
Mother Board – यह कंप्यूटर का मुख्य सर्किट बोर्ड होता है, कंप्यूटर के सभी पार्ट्स व डिवाइसेस जैसे – RAM, CPU, HDD, Mouse, Keyboard आदि इसी से कनेक्ट रहते हैं।
CMOS – इसका का मतलब है “Complementary Metal-Oxide-Semiconductor”, यह एक प्रकार की सेमीकंडक्टर चिप है जो मदरबोर्ड पर पाई जाती है। यह बैटरी से चलने वाली मेमोरी चिप है जो महत्वपूर्ण सिस्टम सेटिंग्स जैसे कि सिस्टम टाइम, डेट और हार्डवेयर कॉन्फ़िगरेशन को संग्रहीत करती है।
BIOS –BIOS, जो कि “Basic Input/Output System” का संक्षिप्त रूप है, एक फर्मवेयर प्रोग्राम है जो कंप्यूटर के बूटिंग प्रक्रिया के दौरान हार्डवेयर घटकों को आरंभ और परीक्षण करता है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम को हार्डवेयर डिवाइस के साथ संवाद करने के लिए आवश्यक रूटीन प्रदान करता है।
POST – पोस्ट (POST) का अर्थ है “Power-On Self-Test”, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो कंप्यूटर को चालू करने के तुरंत बाद होती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कंप्यूटर के सभी घटक सही ढंग से काम कर रहे हैं।
Booting – बूटिंग (Booting) कंप्यूटर को शुरू करने की प्रक्रिया है। यह कंप्यूटर को पावर ऑन करने या रीस्टार्ट करने से शुरू होता है और ऑपरेटिंग सिस्टम को मेन मेमोरी (RAM) में लोड करने तक जारी रहता है। बूटिंग के दौरान, कंप्यूटर के हार्डवेयर घटक जांच किए जाते हैं और फिर ऑपरेटिंग सिस्टम लोड किया जाता है, जिससे कंप्यूटर उपयोग के लिए तैयार हो जाता है।
Log off – यूजर अकाउंट से बाहर निकालना, यानि वर्तमान यूजर को बंद करना।
Log on – किसी यूजर के अकाउंट से कंप्यूटर को स्टार्ट करना।
Administrator or Admin User- कंप्यूटर का वह यूजर जिसके पर कंप्यूटर की फुल अथॉरिटी हो, यानि ऐड्मिन यूजर कंप्यूटर को पूर्ण रूप से प्रबंधित कर सकता है।
Local User – लोकल यूजर के पास सीमित पावर होती है, जिससे वह कंप्यूटर मे पूर्ण रूप से प्रबंधन नहीं कर सकता है।
Virus – कंप्यूटर वायरस एक हानिकारक सॉफ़्टवेयर प्रोग्राम है जो कंप्यूटर सिस्टम को संक्रमित कर सकता है। यह एक दुर्भावनापूर्ण कोड होता है जो खुद को दोहराता है, फैल सकता है, और कंप्यूटर मे उपलब्ध डाटा को नुकसान पहुंचा सकता है।
Antivirus – एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम जो कंप्यूटर मे छिपे वायरस को खोजता है, उन्हे कंप्यूटर से डिलीट करता है तथा कंप्यूटर को वायरस से सुरक्षित रखता है।
Browser – कंप्यूटर पर इंटरनेट सर्फिंग/ब्राउज़िंग करने के लिए सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होता है, जैसे – Chrome, Mozilla, Safari आदि।
USB – इसका पूरा नाम Universal Serial Bus है, यह एक प्रकार का इंटरफेस है जिसकी मदद से कंप्यूटर मे विभिन्न प्रकार की डिवाइसेस को कनेक्ट किया जा सकता है, जैसे – Pendrive, Keyboard, Mouse, Printer आदि।
HDMI – इसका पूरा नाम High-Definition Multimedia Interface है, इसकी मदद से डिस्प्ले डिवाइस को कंप्युटर से कनेक्ट किया जा सकता है। जैसे – TV, Monitor आदि।
VGA – इसका पूरा नाम Video Graphics Array है, यह एक प्रकार की केबल है इसकी मदद से TV, Monitor, Projector को कंप्यूटर से जोड़ा जा सकता है।
Command – कमांड एक प्रकार का निर्देश है जो कंप्यूटर को किसी कार्य को परफ़ॉर्म करने के लिए दिया जाता है।
Task – कंप्यूटर पर रन हो रहे विभिन्न कार्य टास्क कहलाते हैं।
Desktop – यह मॉनिटर स्क्रीन प्रदर्शित ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य पेज होता है, जहां टास्कबार,आइकन्स, और वॉलपेपर प्रदर्शित होते है।
Icons – यह प्रोग्राम व अप्लीकेशन के लिंक होते हैं, जो एक पिक्चर के रूप मे दिखाई देते हैं। इन आइकन्स पर क्लिक करके प्रोग्राम को ओपन किया जाता है।
Folder/Directory – विभिन्न प्रकार की फ़ाइलों को व्यस्थित रूप से अलग-अलग लोकैशन पर सेव (Save) करने के लिए फ़ोल्डर या डायरेक्टरी का उपयोग किया जाता है।
Files – फाइल मे यूजर द्वारा क्रीऐट किया गया डाटा स्टोर होता है। यह टेक्स्ट, इमेज, ऑडियो, वीडियो, या सॉफ़्टवेयर प्रोग्राम के रूप मे हो सकती है।
Download – इंटरनेट से किसी फाइल को कंप्यूटर मे सेव करना डाउनलोड कहलाता है।
Upload – कंप्यूटर से इंटरनेट पर किसी फाइल को सेव करना अपलोड कहलाता है।
Resolution – रो (Row) और कॉलम (Column) मे व्यस्थित हजारों Pixels का संग्रह रेसोल्यूशन कहलाता है, पिक्सेल की मात्रा जितनी अधिक होगी तस्वीर उतनी क्लीयर व शार्प होगी, यानि रेसोल्यूशन बेहतर होगा।
Pixels – स्क्रीन पर प्रदर्शित छोटे-छोटे बिन्दु जो किसी तस्वीर (ग्राफिक) का निर्माण करते हैं, Pixels कहलाते हैं।
Drag & Drop – किसी ऑब्जेक्ट को माउस द्वारा मूव करना Drag तथा छोड़ना Drop कहलाता है।
Internet – इंटरनेट, जिसे नेटवर्क का नेटवर्क भी कहा जाता है, एक वैश्विक कंप्यूटर नेटवर्क है जो दुनिया भर के कंप्यूटरों को एक साथ जोड़ता है। यह लोगों को जानकारी साझा करने, संवाद करने और इंटरनेट कनेक्शन के माध्यम से किसी भी जगह से डेटा और संसाधनों तक पहुँचने में सक्षम बनाता है। इंटरनेट का विकास 1960 के दशक में शुरू हुआ था, जब ARPANET नामक एक शुरुआती नेटवर्क बनाया गया था। बाद में, TCP/IP प्रोटोकॉल विकसित किया गया, जिससे विभिन्न नेटवर्क को एक-दूसरे से संवाद करने की अनुमति मिली।
Network – नेटवर्क (network) दो या दो से अधिक कंप्यूटरों या अन्य उपकरणों का एक समूह होता है जो एक दूसरे से केबल या वायरलेस (Wireless) तकनीक से जुड़े होते हैं और डेटा या संसाधनों का आदान-प्रदान करते हैं। इसे कंप्यूटर नेटवर्क, या इंटरनेट भी कहा जा सकता है। नेटवर्क के माध्यम से, हम फ़ाइलों को साझा कर सकते हैं, संचार कर सकते हैं, और संसाधनों तक पहुंच सकते हैं।
Ethernet – ईथरनेट (Ethernet) एक कंप्यूटर नेटवर्क प्रौद्योगिकी है जो उपकरणों को लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) और वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) में एक साथ जोड़ती है। यह एक वायर कनेक्शन के माध्यम से काम करता है और डेटा पैकेट के प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल का एक सेट उपयोग करता है, जो नेटवर्क पर सूचना के कुशल प्रवाह की अनुमति देता है।
Wifi – वाई-फाई (Wi-Fi) एक वायरलेस तकनीक है जो आपके डिवाइस को इंटरनेट से जोड़ने के लिए रेडियो तरंगों का उपयोग करती है। यह वायरलेस लोकल एरिया नेटवर्क (WLAN) का एक मानक है जो IEEE 802.11 पर आधारित है। वाई-फाई का उपयोग करके आप अपने लैपटॉप, स्मार्टफोन, टैबलेट, और अन्य उपकरणों को बिना किसी केबल के इंटरनेट से जोड़ सकते हैं।
Bluetooth – ब्लूटूथ एक वायरलेस तकनीक है जिसका इस्तेमाल दो डिवाइस (Smartphone, Laptop, Tablet etc.) को बिना केबल के एक-दूसरे से कनेक्ट करने के लिए किया जाता है। यह कम दूरी पर डेटा ट्रांसफर करने के लिए रेडियो तरंगों का उपयोग करता है, जिससे आपको तारों की आवश्यकता नहीं होती है।
LAN – LAN, यानी लोकल एरिया नेटवर्क, एक ऐसा कंप्यूटर नेटवर्क है जो एक सीमित क्षेत्र, जैसे कि एक ही इमारत या परिसर, के भीतर कंप्यूटरों को आपस मे जोड़ता है। यह एक छोटे से नेटवर्क में कई कंप्यूटरों को आपस में जोड़ने का एक तरीका है, जिससे वे एक-दूसरे के साथ डेटा और संसाधनों को साझा कर सकें।
MAN – MAN, जिसका पूरा नाम मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क है, एक कंप्यूटर नेटवर्क है जो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र, जैसे शहर, कई शहरों या कस्बों को आपस में जोड़ता है। यह LAN (लोकल एरिया नेटवर्क) से बड़ा और WAN (वाइड एरिया नेटवर्क) से छोटा होता है।
WAN – WAN का मतलब है वाइड एरिया नेटवर्क (Wide Area Network)। यह एक बड़ा कंप्यूटर नेटवर्क है जो दो या उससे अधिक स्थानीय क्षेत्र नेटवर्क (LAN) या अन्य नेटवर्क को एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में जोड़ता है, जैसे कि शहर, देश या यहाँ तक कि दुनिया भर में।
Network Topology – नेटवर्क टोपोलॉजी, किसी नेटवर्क में नोड्स (डिवाइसेस) और उनके बीच के कनेक्शनों की व्यवस्था होती है। यह बताता है कि डिवाइस आपस मे कैसे जुड़े हुए हैं और कैसे एक-दूसरे के साथ डेटा का आदान-प्रदान करते हैं।
- Bus Topology – सभी डिवाइस एक मुख्य केबल (Back Bone) से जुड़े होते हैं।
- Star Topology – सभी डिवाइस एक केंद्रीय डिवाइस (HUB/Switch) से जुड़े होते हैं।
- Ring Topology – सभी डिवाइस एक रिंग में जुड़े होते हैं।
- Mesh Topology – सभी डिवाइस एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।
- Tree Topology – एक मुख्य रूट केबल से शाखाएं निकलती हैं, जिन पर डिवाइस जुड़े होते हैं।
Switch – नेटवर्क स्विच (Network Switch) एक नेटवर्किंग हार्डवेयर डिवाइस है जो विभिन्न उपकरणों (जैसे – कंप्यूटर, लैपटॉप, प्रिंटर) के बीच डेटा को भेजने और प्राप्त करने में मदद करता है। यह एक ही नेटवर्क में कई उपकरणों को एक साथ जोड़ता है, जिससे वे एक-दूसरे के साथ संवाद (Communication) कर सकते हैं।
Router – राउटर एक कंप्यूटर नेटवर्किंग उपकरण है जो डेटा पैकेट को एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क में स्थानांतरित करता है। यह इंटरनेट पर डेटा के फ्लो को नियंत्रित करता है और विभिन्न नेटवर्क को आपस में जोड़ता है। यह एक ऐसा उपकरण भी है जो कई उपकरणों को एक ही इंटरनेट कनेक्शन का उपयोग करने की अनुमति देता है।
IP Address – IP का मतलब है “Internet Protocol Address”, यह एक अनूठा पता है जो इंटरनेट से जुड़े हर डिवाइस, जैसे कि कंप्यूटर, मोबाइल फोन, प्रिंटर को दिया जाता है। यह पता एक संख्यात्मक लेबल के रूप में होता है, जैसे कि 192.168.0.1, IP पता डिवाइस को नेटवर्क पर पहचानने और डेटा भेजने और प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।
Email – ईमेल (e-mail) का मतलब होता है “इलेक्ट्रॉनिक मेल”। यह इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटर या अन्य डिवाइस का उपयोग करके लोगों के बीच संचार का एक तरीका है। आप ईमेल का उपयोग करके टेक्सट, चित्र, फाइलें, और कई अन्य प्रकार के दस्तावेज भेज सकते हैं।
Protocol – नेटवर्क प्रोटोकॉल नियमों का एक समूह है जो यह बताता है कि नेटवर्क में जुड़े डिवाइस कैसे संचार करते हैं। यह एक प्रकार की भाषा है जो डिवाइसों को डेटा का आदान-प्रदान करने की अनुमति देती है, चाहे वे कैसे बने हों या उन्हें कैसे संचालित किया जाए।
- HTTP – यह वेब ब्राउज़र और वेब सर्वर के बीच संचार के लिए उपयोग किया जाता है।
- TCP/IP – यह इंटरनेट पर डेटा भेजने और प्राप्त करने का सबसे आम प्रोटोकॉल है।
- SMTP – यह ईमेल भेजने के लिए उपयोग किया जाता है।
- FTP – यह फ़ाइलें स्थानांतरित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
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